DRDO ने स्वदेशी कॉम्बैट पैराशूट का 32,000 फीट से सफल परीक्षण किया। 150 किलो वजन क्षमता और NavIC GPS से लैस यह पैराशूट सटीक लैंडिंग में सक्षम है, जो सैन्य अभियानों के लिए अहम है।
नई दिल्ली: भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने देश में बने कॉम्बैट पैराशूट का सफल टेस्ट किया है। वायु सेना के विंग कमांडर विशाल लाकेश, मास्टर वारंट ऑफिसर आर.जे. सिंह और मास्टर वारंट ऑफिसर विवेक तिवारी ने इस पैराशूट के साथ 32,000 फीट की ऊंचाई से कूदकर इसकी काबिलियत को साबित किया है।खास बात यह है कि इस पैराशूट को बेंगलुरु और आगरा की लैब में बनाया गया है। साथ ही, यह पहली बार है जब इतनी ऊंचाई से किसी देसी पैराशूट का टेस्ट किया गया है।
क्या है कॉम्बैट पैराशूट की खासियत?
ये मिलिट्री पैराशूट हथियार, गोला-बारूद और सर्वाइवल किट समेत 150 किलो तक का वजन उठा सकते हैं। इसे इस्तेमाल करने वाले सुरक्षित रूप से उतर सकें, इसके लिए नीचे आने की रफ्तार भी कम होगी। साथ ही, इसमें NavIC GPS सिस्टम भी है, जिससे तय जगह पर सटीक लैंडिंग करना मुमकिन होगा। यह हवाई हमलों या हिमालय जैसे इलाकों में तेजी से एक्शन लेने के लिए बहुत ज़रूरी है। इन पैराशूट को हर मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है।
