सार

डकोटा डीसी-3 को गूनी बर्ड के नाम से जाना जाता था। यह एलएएफ में शामिल किया गया पहला प्रमुख परिवहन विमान था। इसने 1947 के कश्मीर संघर्ष और 1971 के बांग्लादेश युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

Indian Air Force Day anniversary flypast: प्रयागराज में 91वें इंडियन एयरफोर्स डे की वर्षगांठ के फ्लाइपास्ट में आईकॉनिक डकोटा डीसी-3 वीपी 905 को प्रदर्शित किया गया। Dakota DC-3 VP 905 को 2018 में रिफर्निश्ड और रेस्टोर किया गया था। इस विमान को केंद्रीय उद्यमिता विकास एवं इलेक्ट्रानिक्स राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भारतीय वायुसेना को उपहार में दिया था।

रिफर्निश करने के बाद इसे परशुराम नाम दिया

4 मई 2018 को Dakota DC-3 VP 905 को परशुराम नाम दिया गया। परशुराम, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के छठवें अवतार माने जाते हैं। वायुसेना स्टेशन हिंडन में एलएएफ के विंटेज स्क्वाड्रन में परशुराम का अधिकारिक स्वागत किया गया और इसे स्पेशल टेल नंबर VP 905 से चिंहित किया गया था। डकोटा डीसी-3 को गूनी बर्ड के नाम से जाना जाता था। यह एलएएफ में शामिल किया गया पहला प्रमुख परिवहन विमान था। इसने 1947 के कश्मीर संघर्ष और 1971 के बांग्लादेश युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मंत्री राजीव चन्द्रशेखर के पिता एयर कमोडोर (सेवानिवृत्त) एमके चन्द्रशेखर भारतीय वायुसेना में डकोटा पायलट थे।

केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने बताया कि डकोटा विमान भारत के इतिहास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण एक महान दर्जा रखता है। खासकर 1947/48 की घटनाओं के दौरान जिसमें जम्मू-कश्मीर पर नियंत्रण पाने के लिए पाकिस्तान के के प्रयास को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रयागराज में हुआ ऐतिहासिक प्रदर्शन

रविवार को विंग कमांडर डी धनखड़ की कमान ने डकोटा का प्रदर्शन किया। इस कमान के डकोटा क्रू ने प्रयागराज के ऐतिहासिक आसमान में उड़ान भरी। यह डकोटा DC-3 भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक अनोखा विमान है। इसे यूके में अधिग्रहित किया गया था। डकोटा फ्लीट के रिटायर किए जाने के बाद इसके आखिरी विमान को 2010 तक स्क्रैप के रूप में बेच दिया गया था। 2011 में इतिहास को संरक्षित करने के लिए केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक डकोटा खरीदने के प्रयास शुरू किए जो आयरलैंड में बिक्री के लिए था।

राजीव चंद्रशेखर के प्रस्ताव को एके एंटोनी ने किया अस्वीकार

शुरूआत में राजीव चंद्रशेखर ने अपने स्वयं के खर्च पर डकोटा विमान को इंडियन एयरफोर्स को गिफ्ट करने का प्रस्ताव तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी को दिया था। लेकिन ऐसा कोई मिसाल नहीं होने का हवाला देकर उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। हालांकि, भाजपा सरकार में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने बाद में इसे मंजूरी दे दी। इसके बाद डकोटा को एयरफोर्स में गिफ्ट देने की प्रक्रिया शुरू हुई।

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