सार

भारतीय सेना को पहला स्वदेशी सुसाइड ड्रोन नागास्त्र 1 मिला है। इसका वजन 9 किलोग्राम है। यह बिना आवाज किए दुश्मन के ठिकाने तक पहुंचता है और हमला करता है। इससे चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर सटीक हमला किया जा सकता है।

 

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच हुई लड़ाई में यह साबित हुआ है कि सुसाइड ड्रोन जंग के मैदान में कितने कारगार साबित हो सकते हैं। इससे सबक लेते हुए भारतीय सेना को भी सुसाइड ड्रोन दिया गया है। इसका नाम नागास्त्र 1 है। यह भारत में बना पहला स्वदेशी सुसाइड ड्रोन है।

नागास्त्र 1 की सबसे बड़ी खासियत चुपचाप दुश्मन पर हमला करना है। इससे दुश्मन को सचेत होने का मौका नहीं मिलता। इस ड्रोन से चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर सटीक हमला किया जा सकता है।

नागास्त्र को नागपुर स्थित Solar Industries ने विकसित किया है। सेना ने सोलार इंडस्ट्रीज की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ईईएल) को 480 नागास्त्र 1 ड्रोन की आपूर्ति के लिए ऑर्डर दिया है। 20-25 मई तक सफल प्री-डिलीवरी इंस्पेक्शन (पीडीआई) के बाद ईईएल ने पुलगांव में गोला-बारूद डिपो को 120 ड्रोन का पहला बैच दिया है।

 

 

9 किलो है नागास्त्र-1 का वजन

नागास्त्र-1 दो मीटर तक सटीक है। यह टारगेट तक पहुंचने के लिए GPS की मदद लेता है। नागास्त्र-1 का वजन सिर्फ 9 किलो है। इसे एक सैनिक अपने साथ ले जा सकता है। इसे किसी भी जगह से हवा में उड़ाया जा सकता है। यह 30 मिनट तक उड़ान भर सकता है। मैन-इन-लूप कंट्रोल के साथ इसका रेंज 15 किलोमीटर है। वहीं, ऑटोनॉमस मोड में यह 30 किलोमीटर तक मार कर सकता है।

1 किलो विस्फोटक ले जाता नागास्त्र-1

नागास्त्र-1 में इंजन की जगह बैटरी से चलने वाला इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम है। इसके चलते यह बेहद कम आवाज करता है। 200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर होने से नीचे मौजूद लोगों को इसका पता नहीं चलता। दिन हो या रात इससे किसी भी वक्त हमला किया जा सकता है। यह अपने साथ 1 किलो विस्फोटक ले जाता है।

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नागास्त्र-1 आत्मघाती ड्रोन हैं। ऐसे ड्रोन टारगेट पर गिरते हैं और उसे नष्ट कर देते हैं। यह एक तरफा सफर होता है। ड्रोन लॉन्च किए जाने के बाद अगर हमला रद्द करने की जरूरत हो तो इसकी सुविधा नागास्त्र 1 में है। इसे हमला होने से पहले रोका जा सकता है। ड्रोन को वापस भी बुलाया जा सकता है। वापस सही सलामत जमीन पर उतरने के लिए इसमें पैराशूट लगे हैं।

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