क्या भारत के ये तटीय शहर डूब जाएंगे?
भारत कई शहरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। मुंबई से लेकर सूरत तक खतरनाक स्थितियों का सामना कर रहे हैं। आईपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में इन शहरों को लेकर चिंता जताई है।
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मुंबई
महाराष्ट्र का शहर मुंबई भी तटीय शहर होने के नाते समुद्र के स्तर में वृद्धि के लिए अत्यधिक संवेदनशील है। अध्ययनों से पता चलता है कि अगर वैश्विक समुद्र का स्तर इसी दर से बढ़ता रहा तो 2050 तक शहर का एक बड़ा हिस्सा पानी के नीचे जा सकता है। मुंबई प्रचंड चक्रवातों और तूफानी लहरों की चपेट में रहता है जिससे निचले इलाकों में गंभीर बाढ़ आ सकती है। अरब सागर की गर्मी बढ़ने से इन घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि हो रही है। मुंबई के वर्ली, नरिमन पॉइंट और कोलाबा जैसे क्षेत्र बढ़ती बाढ़ का सामना कर सकते हैं।
कोलकाता
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता भी समुद्र तल के करीब स्थित है और कई नदियों से घिरा हुआ है। यह शहर समुद्र के स्तर में वृद्धि और नदी की बाढ़ दोनों के लिए संवेदनशील है। सुंदरबन और कोलकाता के आसपास के अन्य निचले इलाकों में लगातार बाढ़ आ सकती है और काफी हिस्सा जलमग्न हो सकता है।
चेन्नई
चेन्नई पर भी समुद्रस्तर में वृद्धि से खतरा मंडरा रहा है। लगातार तटीय कटाव और बढ़ती बाढ़ की वजह से इस शहर पर खतरा मंडरा रहा है। हाल के वर्षों में भारी वर्षा और अपर्याप्त शहरी जल निकासी प्रणाली के कारण शहर को गंभीर बाढ़ का सामना करना पड़ा है। भूजल के अत्यधिक दोहन और खराब जल प्रबंधन प्रथाओं के कारण शहर की संवेदनशीलता बढ़ गई है।
पॉन्डिचेरी (पुदुचेरी)
केंद्र शासित प्रदेश पॉन्डिचेरी के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। यह क्षेत्र आंशिक रूप से सी-लेवल में बढ़ोत्तरी से असुरक्षित हो रहा है तो बालू खनन जैसी मानवीय गतिविधियों की वजह से अस्तित्व के संकट से जूझ सकता है। चक्रवातों के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र में विनाशकारी तूफानी लहरें और बाढ़ और खतरा पैदा कर सकती हैं।
सूरत
गुजरात का सबसे प्रसिद्ध शहर सूरत तापी नदी के किनारे स्थित है। यह शहर नदी के कटान और बाढ़ के खतरे से जूझता है। इस शहर का निचला हिस्सा जलमग्न हो सकता है।
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