सार
कानून मंत्री किरेन रिजीजू (Law Minister Kiren Rijiju) ने अंग्रेजी बोलने वाले वकीलों के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की है, जो कि भारतीय भाषाओं के दूसरे वकीलों से ज्यादा फीस चार्ज करते हैं।
Law Minister Kiren Rijiju. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने उन वकीलों के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है जो ज्यादा फीस लेते हैं। उनके निशाने पर अंग्रेजी बोलने वाले वकील रहे जो हिंदी या अन्य भारतीय भाषा के वकीलों से कहीं ज्यादा फीस चार्ज करते हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हार्वर्ड-ऑक्सफोर्ड में पढ़े-लिखे वकीलों और जजों को भारतीयों के प्रति विनम्र होना चाहिए।
कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने क्या कहा
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि बहुत सारे अच्छे वकील और जजों ने विदेशी यूनिवर्सिटी जैसे हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई की है। वे अंग्रेजी बोलते हैं लेकिन उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उन्हें भारतीय लोगों की सोच और समझ के अनुसार काम करना चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि विदेश में पढ़ने के बाद उन्हें विदेशी सोच ही रखनी चाहिए। कानून मंत्री ने कहा कि बहुत सारे वकील अंग्रेजी बोलते हैं और अंग्रेजी में ही सोचते भी हैं। आप विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़े हैं, आप अच्छे वकील हैं लेकिन यह ज्यादा जरूरी है कि आप भारतीयों के प्रति विनम्र रहें।
अंग्रेजी बोलने वाले वकील करते हैं ज्यादा कमाई
संयोग की बात है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भी हार्वर्ड से मास्टर डिग्री प्राप्त की है। कानून मंत्री ने कहा कि अंग्रेजी बोलने वाले वकीलों के प्रति नाराजगी जताई और कहा कि अंग्रेजी बोलने वाले वकील दूसरी भाषाओं के वकीलों से ज्यादा कमाई करते हैं। उन्होंन दिल्ली कोर्ट का उदाहरण सामने रखा जिसमें अंग्रेजी बोलने पर कमांड रखने वाले वकीलों को ज्यादा पेमेंट की बात कही गई है। रिजीजू ने यह भी कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अंग्रेजी नहीं बोलने वाले वकील भी उतने ही काबिल हैं, जितने की अंग्रेजी बोलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कई वकील ऐसे हैं जिनके पास कानूनी जानकारी कम है लेकिन अंग्रेजी की वजह से ज्यादा पैसा चार्ज करते हैं। यह ठीक बात नहीं है। कानून मंत्री ने कहा कि हिंदी, मराठी सहित दूसरी भाषाएं बोलने वाले काबिल वकील कम पैसे पाते हैं क्योंकि वे अंग्रेजी नहीं बोल पाते।
अपनी मातृभाषा में सुनवाई की हो शुरूआत
कानून मंत्री ने कहा कि हम भारतीय अदालतों में अपनी भाषा में सुनवाई के लिए सक्षम क्यों नहीं हैं। हम महाराष्ट्र में मराठी क्यों नहीं यूज कर सकते। हमने सुप्रीम कोर्ट से भी कहा है कि इस दिशा में भी सोचने की आवश्यकता है। साथ ही सभी हाईकोर्ट भी ऐसा कर सकते हैं।
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