India Cheating Rate: भारत में अब शादी के अलावा रिश्तों को छुपाने या गलत मानने की सोच पहले जैसी नहीं रही। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि धोखा देने के मामले थोड़े कम हुए हैं, क्योंकि अब कपल्स अपने रिश्तों में खुलकर बात करते हैं। 

India Cheating Rate: भारत में अब शादी के अलावा रिश्ते रखना पहले जितना छुपाने या शर्माने वाली बात नहीं मानी जा रही है। ग्लीडेन नाम के एक डेटिंग ऐप ने आईपीसॉस के साथ मिलकर एक सर्वे किया जिसमें बताया गया कि 2023 के बाद से देश में बेवफाई के मामलों में 16% की कमी आई है।

वफादारी के मुद्दे पर खुलकर बात करते हैं लोग

सर्वे में पता चला कि 2025 में 48% लोगों ने माना कि उन्होंने अपने पार्टनर को धोखा दिया, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 57% था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव सिर्फ लोगों के व्यवहार में नहीं, बल्कि उनकी सोच में भी आ रहा है। ये जरूरी नहीं कि लोग अब पहले से ज्यादा वफादार हो गए हों, लेकिन अब लोग वफादारी के मुद्दे पर खुलकर बात करने और सोचने लगे हैं। इसे रिश्तों और निजी जिंदगी को लेकर भारतीय समाज में बढ़ती खुली सोच का हिस्सा माना जा रहा है।

बेवफाई के मामलों में 16% की कमी

पिछले दो साल में भारत में रिपोर्ट की गई बेवफाई के मामलों में 16% की कमी आई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोग अब अपने रिश्तों के बाहर संबंध नहीं बना रहे। फर्क बस इतना है कि अब वे इस मुद्दे पर ईमानदारी और खुलकर बात कर रहे हैं। पहले जो बातें छुपाकर होती थीं, अब कई बार पार्टनर की सहमति से हो रही हैं। अब भाषा भी बदल रही है। अब लोग cheating की जगह Choice और betrayal की जगह boundaries जैसे शब्द इस्तेमाल होने लगे हैं।

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पहले से ज्यादा जागरूक हुई महिलाएं

अब कपल्स अपने रिश्तों में खुलकर बातें करने लगे हैं, इसलिए पार्टनर एक-दूसरे को कम धोखा दे रहे हैं। यह Gleeden ऐप के भारतीय यूज़र्स में अब करीब 35% महिलाएं हैं। महिलाओं के लिए सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव, ज्यादा बातचीत करना, फ्लरट करना या किसी और के बारे में कल्पना करना भी ‘cheating’ माना जा सकता है। सर्वे में पता चला कि पुरुष और महिलाएं लगभग बराबर मानते हैं कि शारीरिक और भावनात्मक रिश्ता किसी और से बनाना बेवफाई है, लेकिन महिलाएं इसे लेकर ज्यादा सख्त सोच रखती हैं। अब महिलाएं पहले से ज्यादा जागरूक हो गई हैं, इसलिए वे ऐसे रिश्ते चाहती हैं जो भावनाओं पर टिके हों और जिनमें कुछ भी छुपाने या अपराधबोध महसूस करने की जरूरत न हो, बल्कि सब कुछ साफ-साफ और ईमानदारी से हो।