केंद्र ने इंडिगो को उसके विंटर शेड्यूल में 5% फ्लाइट्स कम करने का आदेश दिया है। रोज़ाना 115 फ्लाइट्स घटेंगी। क्रू की कमी, नए सेफ्टी नियम और DGCA जांच ने इस संकट को गहरा बना दिया है। क्या इंडिगो की मुश्किलें अभी खत्म होंगी या और बढ़ेंगी? 

नई दिल्ली। हाल के दिनों में इंडिगो एयरलाइन को लेकर देशभर में भारी अफरा-तफरी देखने को मिली। हजारों फ्लाइट्स अचानक कैंसिल होने से पैसेंजर्स का भरोसा हिल गया। शादी के प्लान से लेकर बिजनेस टूर तक लोगों के कई जरूरी काम अधर में लटक गए। अब इस पूरे मामले में पहली बार केंद्र सरकार ने बेहद सख्त कदम उठाते हुए इंडिगो को उसके विंटर शेड्यूल में 5% फ्लाइट्स कम करने का आदेश दिया है। यानी रोजाना चलने वाली लगभग 2,200 फ्लाइट्स में से करीब 115 फ्लाइट्स बंद होंगी। यह फैसला सिर्फ इंडिगो के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।

इंडिगो संकट की शुरुआत कैसे हुई? क्या कारण सिर्फ नए नियम थे?

सरकार और DGCA की ओर से की गई कार्रवाई के बाद पूरे एविएशन सेक्टर में खलबली मच गई है। पिछले हफ्ते देश भर में एक ही दिन में अचानक सैकड़ों फ्लाइट्स कैंसिल हो गईं। जिन यात्रियों की शादी, छुट्टियां, मेडिकल इमरजेंसी या बिजनेस मीटिंग्स थीं, सभी परेशान होकर एयरपोर्ट्स पर फंसे रह गए। सोशल मीडिया पर लगातार शिकायतों की बाढ़ आ गई। सरकार ने जब जांच शुरू की, तो असली वजह सामने आई-इंडिगो अपने पायलट और क्रू मैनेजमेंट में एक बड़े संकट से गुजर रहा था।

नए फ्लाइट सेफ्टी नियमों में डाउन टाइम देना अनिवार्य क्यों?

नए फ्लाइट सेफ्टी नियमों के अनुसार पायलट्स को ज्यादा “डाउनटाइम” देना अनिवार्य हो गया था। इन नियमों का लक्ष्य पायलट की थकान को कम करना है, क्योंकि थकान किसी भी हवाई हादसे की बड़ी वजह बन सकती है। लेकिन इंडिगो-जिसने लंबे समय से “कम डाउनटाइम” के मॉडल पर काम किया था-इन नियमों के लागू होते ही क्रू की भारी कमी से जूझने लगा। नतीजा यह हुआ कि विमान तो तैयार थे, लेकिन उन्हें उड़ाने वाले पायलट ही नहीं मिले।

सरकार को सख्त कार्रवाई क्यों करनी पड़ी?

एविएशन मिनिस्टर के. राम मोहन नायडू ने सीधे कहा कि यह पूरा संकट इंडिगो के अंदरूनी मैनेजमेंट फेलियर का नतीजा था। उन्होंने राज्यसभा में बताया कि इंडिगो को समय पर अपने क्रू और रोस्टर मैनेजमेंट को सुधारना था। यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। सरकार इस लापरवाही को "हल्के में" नहीं ले सकती। मामले की विस्तृत जांच चल रही है। इसके तुरंत बाद DGCA ने आदेश दिया कि इंडिगो अपनी 5% फ्लाइट्स कम करे, ताकि बाकी सेक्टर प्रभावित न हो और हालात स्थिर हो सकें।

क्या इंडिगो ने यात्रियों को रिफंड दिया?

एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया कि 1 दिसंबर से 8 दिसंबर के बीच इंडिगो ने 7,30,655 PNR कैंसल किए। इसके लिए एयरलाइन ने 745 करोड़ रुपये का रिफंड प्रोसेस किया। इतने बड़े पैमाने पर रिफंड और कैंसिलेशन का आंकड़ा खुद बताता है कि संकट कितना बड़ा था।

क्या यह सिर्फ शुरुआत है? क्या और एयरलाइन्स भी जोखिम में हैं?

मंत्री नायडू ने साफ कहा कि सरकार देश में 5 बड़ी एयरलाइन्स चाहती है। यह बयान इंडिगो को एक तरह का सिग्नल माना जा रहा है कि अगर कोई कंपनी नियमों का पालन नहीं करेगी, तो सरकार उसके विकल्प तैयार रखेगी। क्या इंडिगो अकेली एयरलाइन है जो नए फ्लाइट सेफ्टी नियमों के दबाव में आई है, या आने वाले महीनों में पूरा सेक्टर इससे प्रभावित होगा?

क्या यात्री आने वाले दिनों में भी परेशानी झेलेंगे?

सरकार ने कुछ समय के लिए नए नियमों में थोड़ी ढील दी है, ताकि स्थिति सामान्य करने में मदद मिले।

लेकिन इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि:

  • पायलटों की कमी
  • तेज़ी से बढ़ती हवाई यात्रा
  • एयरलाइन्स की आक्रामक फ्लाइट स्ट्रैटेजी

इन सबके कारण आने वाले महीनों में भी एयरलाइन सेक्टर को "री-बैलेंस" की जरूरत पड़ेगी।