सार
कहते हैं कि जहां चाह, वहां राह! ये हैं ओडिशा के रहने वाले शाश्वत मिश्रा। ये अपने दिव्यांग दोस्तों को देखकर उनकी मदद के लिए कुछ करना चाहते थे। इन्होंने दिव्यांगों के लिए कृत्रिम हाथ(prosthetic hand) बनाया है।
भुवनेश्वर, ओडिशा. प्रगतिशील विचार(Innovative ideas) सिर्फ आपकी नहीं, आपके करियर या जिंदगी को नई दिशा नहीं दिखाते, बल्कि आपके द्वारा ईजाद चीजें दूसरे के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं होतीं। ऐसे ही एक इनोवेटिव आइडियाज से दिव्यांगों की मदद करने आगे आया है 11वीं का छात्र शाश्वत मिश्रा। शाश्वत भुवनेश्वर में रहते हैं। इस छात्र ने दिव्यांगों के लिए कम लागत का कृत्रिम हाथ (prosthetic hand) तैयार किया है।
दिव्यांग दोस्तों को की मदद करना चाहते थे
शाश्वत ने ANI को बताया कि कृत्रिम हाथ (prosthetic hand) बनाते वक्त काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जैसे कौन-से और किस तरह के सामान का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे इसे हल्का और मजबूत बनाया जा सके। आखिर में वे सफल रहे। इसका प्रयोग भी सफल रहा। यह हाथ उन दिव्यांग बच्चों के माता-पिता के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो महंगे कृत्रिम हाथ नहीं खरीद सकते थे।
जयपुर में लगाए जाते हैं कृत्रिम हाथ
बता दें कि कृत्रिम हाथ के मामले में जयपुर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। जयपुर के एक वरिष्ठ चार्टर्ड एकांउटेंट एसएल गंगवाल ने अपने माता-पिता की स्मृति में दाखा देवी हनुमानबक्ष चेरिटेबल ट्रस्ट स्थापित किया था। यह ट्रस्ट जरूरतमंदों को कृत्रिम हाथ अपने खर्चे पर उपलब्ध कराता है। तीन साल पहले इस ट्रस्ट का नाम 'गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में भी दर्ज हुआ था। हालांकि अभी देश में कृत्रिम हाथ उन्हें ही लग सकते हैं, जिनका हाथ कोहनी के नीचे से कटा हो। ये पांच वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को लगाया जा सकता है।