सार

एक साथी युवा पहलवान की हत्या के इल्जाम में दिल्ली की मंडोली जेल में बंद अंतरराष्ट्रीय पहलवान सुशील कुमार को कैदियों का ही भोजन लेना होगा। स्पेशल डाइट की उनकी तमन्ना पर कोर्ट ने पानी फेर दिया है। इस मामले में कोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई में दो टूक कहा कि ये चीजें इंसान की आवश्यक जरूरतें नहीं होतीं। जानिए कोर्ट ने और क्या टिप्पणी की...

नई दिल्ली. कुछ दिन पहले तक अंतरराष्ट्रीय पहलवान सुशील कुमार को देश सिर-आंखों पर बैठाए रहता था, आज उनकी कोई पूछ-परख नहीं हो रही। एक साथी युवा पहलवान की हत्या के इल्जाम में दिल्ली की मंडोली जेल में बंद सुशील कुमार की एक ख्वाहिश पर बुधवार को पानी फिर गया। सुशील कुमार ने कोर्ट में याचिका लगवाई थी कि वे पहलवान है, इसलिए उन्हें स्पेशल फूड और सप्लीमेंट्स की जरूरत पड़ती है। इस मामले में कोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई में दो टूक कहा कि ये चीजें इंसान की आवश्यक जरूरतें नहीं होतीं।

कानून की नजर में सब बराबर
रोहिणी की अदालत में दाखिल आवेदन पर बुधवार को सुनवाई हुई थी। इसमें सुशील कुमार के वकील ने उन्हें जेल के अंदर स्पेशल फूड, सप्लीमेंट्स और एक्सरसाइज से जुड़े साजो-सामान उपलब्ध कराने का निवेदन किया था। इसमें कहा गया था कि सुशील कुमार को अपनी सेहत और करियर को देखते हुए ये चीजें जरूरी हैं। इस पर मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतवीर सिंह लांबा ने साफ शब्दों में कहा कि ये सब चीजें आरोपी की केवल इच्छाएं हैं। ये कोई जरूरी चीजें नहीं हैं। दिल्ली जेल कानून, 2018 के तहत आरोपियों की जरूरतों का जेलों में पूरा ख्याल रखा जाता है। कानून की नजर में सब बराबर हैं। चाहें वो किसी भी जाति, धर्म, लिंग या वर्ग से क्यों न हो। कोर्ट ने संविधान में समानता के अधिकार का हवाला भी दिया।

वकील नहीं दे सके तर्क
कोर्ट ने सुशील के वकील प्रदीप राणा, कुमार वैभव और सत्विक मिश्रा से कहा कि सुशील ने यह नहीं बताया कि वे आगामी किन प्रतियोगिताओं में शामिल होने जा रहे हैं या क्वालीफाई कर चुके हैं। मेडिकल रिपोर्ट में भी वे स्वस्थ्य हैं। इन सवालों के सुशील कुमार के वकील कोई जवाब नहीं दे सके। उधर, अतिरिक्त लोक अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने सुशील कुमार की मांग का विरोध किया था। उन्होंने कहा है कि ऐसा करना दूसरे कैदियों के साथ भेदभाव होगा।

कोर्ट में करियर की दुहाई
याचिका में सुशील कुमार के वकील प्रदीप राणा, कुमार वैभव और सत्विक मिश्रा ने दलील दी थी कि उनका मुवक्किल आईसोलेट व्हे प्रोटीन, ओमेगा-थ्री कैप्सूल, जॉइंटमेंट कैप्सूल, प्री-वर्कआउट सी4, मल्टीविटामिन आदि सप्लीमेंट लेता है। अगर ये चीजें नहीं मिलीं, तो उसके करियर पर बुरा असर पड़ेगा। विशेष पोषण आहार तथा सप्लीमेंट उसकी सेहत तथा प्रदर्शन को बनाए रखने के लिहाज से अत्यंत आवश्यक हैं।

जेल अधिकारियों ने दिया था तर्क
जेल अधिकारियों ने अदालत में दिए जवाब में कहा था कि कुमार की चिकित्सीय अवस्था में फूड सप्लीमेंट या अतिरिक्त आहार के रूप में अतिरिक्त प्रोटीन की आवश्यकता नहीं है। इस पर राणा ने कहा कि विशेष आहार तथा सप्लीमेंट की मांग सुशील कुमार के निजी खर्चे पर की गई है, इसका खर्च जेल अधिकारियों को वहन नहीं करना पड़ेगा।

23 मई को सुशील कुमार को गिरफ्तार किया गया था
सुशील कुमार पर पहलवान सागर धनखड़ की हत्या का आरोप है। झगड़ा मॉडल टाउन के एम ब्लॉक का फ्लैट नंबर डी 10/6 को लेकर शुरू हुआ था। जिस फ्लैट में सागर किराए से रहता था, वह सुशील कुमार की पत्नी के नाम था। जिसे किराए से दिया गया था। सागर ने पिछले दो महीने से इसका किराया नहीं दिया था, जिसे लगातार सुशील मांग रहा था। इसी को लेकर दोनों के बीच पहले कई बार फोन पर विवाद भी हुआ। कुल मिलाकर पैसे के लेनदेन की वजह से यह पूरा विवाद खड़ा हुआ। फिर सुशील 4 मई रात करीब 11 बजे अपने साथियों के साथ मिलकर लाठी-डंडे, गन लेकर सागर और उसके दोस्तों को किडनैप करने के लिए पहुंचा। इस दौरान दोनों गुटों के बीच मारपीट भी हुई। सुशील कुमार को 23 मई को गिरफ्तार किया गया था और दो जून को नौ दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।

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