सार
एक नई स्टडी के अनुसार, एक सर्वे में भाग लेने वाले 424 माता-पिता में से करीब 33 प्रतिशत ने बताया कि अजनबी उनके बच्चों से दोस्ती के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए संपर्क करते थे, व्यक्तिगत और पारिवारिक विवरण मांगते थे और फिर सेक्युअल एडवाइज की बात करते थे।
नई दिल्ली. अगर आपका बच्चा इंटरनेट का यूज करता है, तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है। वो किससे बात कर रहा है, क्या बात कर रहा है, इस पर नजर रखें। एक नई स्टडी के अनुसार, एक सर्वे में भाग लेने वाले 424 माता-पिता में से करीब 33 प्रतिशत ने बताया कि अजनबी उनके बच्चों से दोस्ती के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए संपर्क करते थे, व्यक्तिगत और पारिवारिक विवरण मांगते थे और फिर सेक्युअल एडवाइज की बात करते थे। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
चाइल्ड ट्रैफिकिंग में भी इस्तेमाल हो रहा इंटरनेट
महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के 424 पैरेंट्स के अलावा, सर्वे में चार राज्यों के 384 टीचर और तीन राज्यों (पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र) के इन्हीं मामलों से कोई न कोई ताल्लुक रखने वाले 107 लोग भी शामिल थे। यह स्टडी संयुक्त रूप से सीआरवाई (चाइल्ड राइट्स एंड यू) और चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू), पटना द्वारा आयोजित की गई थी।
माता-पिता के अनुसार, ऑनलाइन आग्रह और दुर्व्यवहार(online solicitations and abuse) के मामलों का संकेत देने वाले बच्चों में 40 प्रतिशत 14-18 वर्ष के भीतर किशोर लड़कियां थीं, इसके बाद समान आयु वर्ग के किशोर लड़के (33 प्रतिशत) थे। इस सर्वे में उन माता-पिता, जिन्होंने शेयर किया था कि उनके बच्चों ने ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार (online child sexual exploitation and abuse (OCSEA) के अनुभवों का संकेत दिया है, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। ऐसी घटनाओं के लिए पुरुष और महिला दोनों जिम्मेदार ठहराए गए।
स्टडी से हुआ चौंकाने वाला खुलासा
स्टडी से यह पता चला कि एक-तिहाई (33.2 प्रतिशत) माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चों को अजनबियों द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से दोस्ती करने, व्यक्तिगत और पारिवारिक विवरण के लिए फिशिंग करने(फंसाने) और यौन सलाह देने के लिए संपर्क किया गया था। उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ अनुचित सेक्युअल कंटेंट्स भी शेयर किया गया था। वे ऑनलाइन सेक्युअल कन्वर्सेशन में भी शामिल थे।
यह पूछे जाने पर कि अगर उनके बच्चों को OCSEA का सामना करना पड़ा, तो वे क्या उपाय करना चाहेंगे? केवल 30 प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि वे पुलिस स्टेशन जाएंगे और शिकायत दर्ज कराएंगे, जबकि 70 प्रतिशत ने इस विकल्प को खारिज कर दिया।
कम पैरेंट्स को पता है कानून
इसके अलावा, केवल 16 प्रतिशत माता-पिता ने OCSEA से संबंधित किसी भी कानून के बारे में जानकारी होने की बात कही। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन निष्कर्षों ने माता-पिता के बीच लॉ और लॉ इन्फॉर्समेंट इंस्टीट्यूशंस के साथ व्यापक जानकारी की कमी और बहुत कम विश्वास का संकेत दिया।
शिक्षकों द्वारा बच्चों के बीच देखे गए सबसे आम व्यवहार परिवर्तन एबसेंट-माइंडनेस(कहीं और ध्यान रहना) और स्कूल से अनुचित अनुपस्थिति (दोनों 26 प्रतिशत), इसके बाद स्कूल में स्मार्टफोन के उपयोग में वृद्धि (20.9 प्रतिशत) थे।
CRY में डेवलपमेंट सपोर्ट की डायरेक्टर और नॉर्थ में रीजनल ऑपरेशन की हेड सोहा मोइत्रा ने इससे निपटने पुनर्मूल्यांकन( re-evaluating) और मौजूदा लीगल फ्रेम वर्क को और पावरफुल बनाने की वकालत की। सोहा मोइत्रा ने कहा-"इस स्डटी में पाया गया है कि इंटरनेट का उपयोग भारत में बच्चों की तस्करी के लिए किया जा रहा है। अब, तस्करी में इंटरनेट के उपयोग के साथ विशेष रूप से छोटे बच्चों के बीच (जैसा कि इस अध्ययन में संकेत दिया गया है) कानूनी प्रावधानों पर फिर से गौर करने की जरूरत है।"
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