सार
ईशा इनसाइट-कामयाबी का डीएनए 2022 के दूसरे दिन सफलता का परचम लहरा चुके दिग्गज हस्तियों ने सफल होने के मूलमंत्र दिए। इस दौरान कुणाल बहल, गौतम सारोगी, चंद्रशेखर घोष और सोनम वांगचूक ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
कोयम्बटूर। ईशा इनसाइट-कामयाबी का डीएनए 2022 के दूसरे दिन सफलता का परचम लहरा चुके दिग्गज हस्तियों ने सफल होने के मूलमंत्र दिए। चार दिवसीय सत्र में भाग ले रहे करीब 200 प्रतिभागियों ने नामी-गिरामी लोगों की बातें सुनी। कोयम्बटूर स्थित ईशा योग केन्द्र में प्रति वर्ष आयोजित ईशा लीडरशिप अकादमी के ग्यारहवें संस्करण में शुक्रवार को हुए सत्र में कुणाल बहल, गौतम सारोगी, चंद्रशेखर घोष और सोनम वांगचूक ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने सफलता के आसमान में सपनों के पंख फैलाने और शिद्दत के साथ जीत हासिल करने के विविध पहलुओं पर बातें की।
एसवेक्टर ग्रूप (स्नेप डील, यूनिकॉमर्स व स्टेलेरो) के सह संस्थापक कुणाल बहल ने कहा कि हमारे देश को आज अपनी समझदारी को परे रखकर नासमझ लोगों में विश्वास करने वालों की सख्त जरूरत है। स्टार्टअप्स के बारे में आलोचक कहते हैं कि कारोबार को लेकर ऐसी पहल शुरू करना यानी पैसा बर्बाद करना है। इस बात पर गौर करना जरूरी है कि इसके कारण देश में हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है। लोगों को स्टार्टअप्स को लेकर आलोचना करने से बचना चाहिए।
कुणाल बहल ने कहा कि अगले बीस सालों में दुनियाभर में खरीदे जाने वाले ज्यादातर सॉफ्टवेयर उत्पाद 'मेड इन इंडिया' होंगे। स्वास्थ्य के क्षेत्र में और अधिक स्टार्टअप्स की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने खुद के एक कड़वे अनुभव को साझा किया। उन्हें दिल्ली के एक जानी माने अस्पताल में कड़वा अनुभव झेलना पड़ा था । उन्होंने कहा कि तमाम धन, यूपीआई, स्टार्टअप्स, निवेश आदि होने के बावजूद अगर सेहत ही अच्छी न होगी तो क्या फायदा?
6 हजार करोड़ रुपए के कारोबार तक पहुंच चुकी गो-कलर्स
लोकप्रिय ब्रांड गो-कलर्स के संस्थापक और सीईओ गौतम सारोगी ने महिलाओं के लिए उपयोगी पहनावे के लिए 'ब्लू ओशन' नामक स्ट्रेटजी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि फैशन को लेकर या निवेश जोखिम को लेकर कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। गो कलर्स के सफर की शुरुआत का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि चेन्नई में एक कियोस्क के साथ जिस कारोबार का आगाज हुआ था आज वह कंपनी 569 स्टोर्स के साथ देश के 133 शहरों में स्थापित हो चुकी है। कंपनी 6 हजार करोड़ रुपए के कारोबार तक पहुंच चुकी है।
बंधन बैंक के प्रबंध निदेशक व सीईओ चंद्रशेखर घोष ने एक स्वयंसेवी संगठन के माइक्रो-फाइनेंस कंपनी बनने और उसके बैंक के रूप में परिवर्तित होने की दिलचस्प बात सुनाई। प्रारंभिक दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, "साहूकारों से मैंने 7.5 प्रतिशत ब्याज पर पैसा उधार लिया है। बस यह साबित करने के लिए कि यह मॉडल सही है और ये लोग पैसा लौटा देंगे।"
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ आल्टर्नेटिव्स लद्दख के निदेशक सोनम वांचूक ने कार्यक्रम में अपने सिद्धांतों और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया , "मेरे लिए स्व उद्यमी वे नहीं हैं जो काम करके केवल पैसा कमाए। दरअसल स्व उद्यमी वे होते हैं, जो समस्याओं का समाधान लाएं। अगर आप अपने काम से किसी समस्या का समाधान नहीं ला सकते, तो आप स्व उद्यमी नहीं बन सकते। समाधान उपलब्ध कराने के साथ-साथ अगर आप पैसे बनाने की बात पर ध्यान देते हो तो भी सही मायने में स्व उद्यमी नहीं कहलाते। अपने साथ औरों को भी ऊपर लाने का उद्यम ही आपको स्व उद्यमी बनाता है।"