सार

इसरो ने साल 2024 की शुरूआत में पहले दिन ही बड़ी कामयाबी हासिल की है। भारत अब अमेरिका के बाद दूसरा देश बन गया है, जिसने ब्लैक होल के रहस्य को जानने के लिए सैटेलाइट लांच किया है।

 

ISRO XPoSat Lauching. वर्ष 2024 के पहले दिन इसरो ने अंतरिक्ष में बड़ी सफलता हासिल की है। 1 जनवरी 2024 को सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने XPoSat सैटेलाइट की सफल लांचिंग की। भारत अब अमेरिका के बाद दूसरा देश बन गया है जिसने ब्लैक होल्स के रहस्यों को जानने के लिए सैटेलाइट लांच किया है। इसरो की सफलता इस बात से भी सामने आई है कि यह सैटेलाइट सफलतापूर्वक अपनी सटीक कक्षा में स्थापित हो गया है।

सटीक कक्षा में स्थापित हुआ सैटेलाइट

ब्लैक होल्स मिशन की सफल लांचिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिक और चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि पीएसएलवी-58 ने सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया है। उन्होंने बताया कि इस कक्षा के बाद पीएसएवी लोवर ऑरबिट में स्थापित हो जाएगा। कुछ समय के बाद यह काम करना भी शुरू कर देगा। सोमनाथ ने बताया कि पृथ्वी की कक्षा से यह करीब 650 किलोमीटर दूर है और हमारा टार्गेट ऑरबिट भी इससे करीब 3 किलोमीटर ही दूर है। यह एक्सिलेंट कंडीशन है। भारत का सैटेलाइट सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित हो चुका है।

 

 

कितना कारगर होगा भारतीय सैटेलाइट

1 जनवरी 2024 को सुबह 9.10 बजे एक्सपोसेट की लांचिंग के बाद भारत दूसरा देश बन जाएगा जो ब्लैक होल का अध्ययन करेगा। इससे पहले अमेरिका यह कर चुका है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत का यह मिशन आया है। इस लांचिंग के बाद पोलराइजेशन और ब्लैक होल के रिडिएशन का अध्ययन किया जाएगा। यह न्यूट्रॉन स्टार्स की स्टडी भी करेगा। इसके साथ दो पेलोड्स हैं, जिसमें एक का नाम पॉलिक्स और दूसरे का एक्सपेक्ट है। उपग्रह POLIX पेलोड द्वारा थॉमसन स्कैटरिंग के माध्यम से लगभग 50 संभावित ब्रह्मांडीय स्रोतों से निकलने वाले ऊर्जा बैंड की स्टडी संभव होगी। साथ ही 8-30keV में एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापा जा सकेगा। यह कॉस्मिकएक्स-रे स्रोतों का अस्थायी अध्ययन करेगा। यह POLIX और XSPECT पेलोड के माध्यम से ब्रह्मांड के एक्स-रे उत्सर्जन की माप करेगा। इस बारे में अधिक जानकारी जुटाकर यह मिशन अंतरिक्ष में अल्ट्रा एक्स्ट्रीम वातावरण के रहस्यों को जानने में मदद करेगा।

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