देश के पहले मानव अंतरिक्ष यान मिशन गगनयान का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। इस बात का खुलासा इसरो चीफ वी नारायणन ने किया। उन्होंने ये भी बताया कि 2027 की शुरुआत में मिशन लॉन्च हो सकता है और हम पहली बार इंसान को अंतरिक्ष में भेजेंगे।  

Gaganyaan Mission Development: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन गगनयान अब पूरा होने के बेहद करीब है। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने गुरुवार को कहा कि गगनयान मिशन लगातार प्रगति कर रहा है और इसका 90% काम पूरा हो चुका है। मिशन को 2027 की शुरुआत में लॉन्च कर दिया जाएगा। इमर्जिंग साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC-2025) की प्रमोशनल एक्टिविटी के दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने मिशन के डेवलपमेंट से जुड़ी कई बातें बताईं। बता दें कि ये कॉन्क्लेव 3-5 नवंबर के बीच दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।

गगनयान मिशन की प्रोग्रेस से जुड़े एक सवाल के जवाब में नारायणन ने कहा, "गगनयान मिशन बहुत अच्छा चल रहा है। उन्होंने बताया कि रॉकेट को ह्यूमन-रेटेड होना है, ऑर्बिटल मॉड्यूल की डिजाइनिंग और एन्वायर्नमेंट कंट्रोल सेफ्टी सिस्टम डेवलप करना है। इसके बाद क्रू एस्केप सिस्टम, पैराशूट सिस्टम और फिर ह्यूमन सेंट्रिक प्रोडक्ट्स का नंबर है। इस मिशन के लिए कई जटिल तकनीकों को डेवलप करना पड़ा है।

एस्ट्रोनॉट्स को भेजने से पहले 3 अनक्रूड मिशन भेजे जाएंगे

नारायणन ने मिशन पर बात करते हुए आगे कहा, "अब चालक दल वाले मिशन पर जाने से पहले तीन मानवरहित मिशन (अनक्रूड मिशन) पूरे करने होंगे और हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। इन मिशनों के कामयाब होने के बाद ही एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। पहले अनक्रूड मिशन में 'व्योममित्र' उड़ान भरेगा और हम 2027 की शुरुआत तक चालक दल वाले मिशन (क्रू मिशन) को पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं।"

अगस्त 2025 में इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट हुआ पूरा

बता दें कि 24 अगस्त, 2025 को इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में गगनयान कार्यक्रम के लिए पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-1) पूरा किया। इसरो के मुताबिक, इस टेस्ट ने गगनयान मिशन के लिए चालक दल मॉड्यूल की महत्वपूर्ण पैराशूट-बेस्ड डिसेलेरेशन सिस्टम की परफॉर्मेंस को सफलतापूर्वक पूरा किया। इसका उद्देश्य मिशन से पहले पैराशूट खुलने की प्रोसेस की जांच करना था। इससे मिशन के दौरान अंतरिक्ष से एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षित वापसी तय होगी।

क्यों करना पड़ा इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट?

इसरो अध्यक्ष नारायणन ने कहा, “गगनयान मिशन के लिए हमने इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट किया। क्योंकि अंतिम चरण में जब पूरा मॉड्यूल वापस आता है तो सही तरीके से स्पलैशडाउन के लिए लगभग 9 पैराशूटों को एक साथ काम करना होता है। इसलिए हमने एक हेलीकॉप्टर का उपयोग करके एक नकली मॉड्यूल को धरती से करीब 3 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ाया। बाद में इसे नौ पैराशूटों की मदद से सफलतापूर्वक नीचे उतारा।”