सार

इसरो (ISRO) अगस्त में पहली बार अपना सैटेलाइट स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च करेगा। इस उपग्रह का नाम GSAT 20 है।

नई दिल्ली। अमेरिकी अरबपति कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) अगस्त में पहली बार अपना सैटेलाइट लॉन्च करेगा। इस सैटेलाइट का नाम GSAT 20 है।

इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने नई दिल्ली में इंडिया स्पेस कांग्रेस- 2024 में यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि GSAT 20 उपग्रह बनकर तैयार है। इसे अमेरिका भेजा जाएगा। अगस्त के मध्य में फाल्कन 9 रॉकेट का इस्तेमाल कर इस उपग्रह को अंतरिक्ष में पहुंचाया जाएगा। फाल्कन 9 रॉकेट की लंबाई 70 मीटर है। यह दो स्टेज वाला रॉकेट है। इसे अब तक 358 बार लॉन्च किया गया है। इसकी सफलता का दर अधिक है।

इसरो के पास उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता है। बहुत से देश अपने उपग्रह को लॉन्च करने के लिए इसरो की मदद लेते हैं, लेकिन जब बहुत भारी उपग्रह को स्पेस में पहुंचाने की बात हो तो यह क्षमता अभी इसरो के पास नहीं है। पहले इसरो इस काम के लिए फ्रांस की स्पेस एजेंसी एरियन पर भरोसा करता था। अभी फ्रांसीसी रॉकेट को हटा दिया गया है। इसकी जगह लेने वाले रॉकेट का विकास किया जा रहा है।

क्या है इसरो के GSAT 20 सैटेलाइट का काम

GSAT 20 एक संचार उपग्रह है। इसका काम धरती पर संचार की सुविधा प्रदान करना है। इस उपग्रह का वजन 4,700 किलोग्राम है। इसकी हाई थ्रूपुट क्षमता 48 जीबीपीएस होगी। इसमें 32 स्पॉट बीम हैं। यह पूरे भारत को कवर करेगा। इससे पूर्वोत्तर भारत से लेकर अंडमान-निकोबार तक कनेक्टिविटी की सुविधा मिलेगी। इस उपग्रह का स्वामित्व और संचालन न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) द्वारा किया जाएगा। इसरो के कारोबार से जुड़े काम यह कंपनी देखती है।

यह भी पढ़ें- PM ऑफिस में स्पेशल गेस्टः 2 मासूम बच्चियों को सुन मोदी ने लगाए ठहाके- WATCH VIDEO

जीसैट-20 का-बैंड हाई थ्रूपुट संचार उपग्रह है। इसे भारत में ब्रॉडबैंड सेवाओं और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी (आईएफसी) को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। यह 14 साल तक काम करेगा।

यह भी पढ़ें- पत्नी सुनीता का आरोप- ''पूरा तंत्र कोशिश में है कि जेल से बाहर ना आ पाएं अरविंद केजरीवाल''