सार

जम्मू कश्मीर में होने वाले चुनाव (Jammu Kashmir Elections) से पहले वोटर लिस्ट को लेकर नए फरमान ने राजनैतिक दलों (Political Parties) की भृकुटि तान दी है। कश्मीर के राजनैतिक दलों ने इस मसले पर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की है।
 

Jammu Kashmir Election. जम्मू कश्मीर में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट और नए वोटरों को लेकर राजनीति गरमा गई है। इसके पीछे जम्मू प्रशासन का वह आदेश है जिसमें कहा गया कि जो लोग 1 या इससे अधिक साल से जम्मू में निवास कर रहे हैं, उनके निवास प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। इसी आधार पर उनका नाम मतदाता सूची में जोड़ा जाएगा। हालांकि भारी विरोध के बाद जम्मू प्रशासन ने अपना यह आदेश वापस ले लिया है लेकिन इसे लेकर केंद्र सरकार राजनैतिक दलों के निशाने पर आ गई है।

क्या कहता है आदेश
सरकारी आदेश जो जारी किया गया था उसके अनुसार वे लोग जो जम्मू कश्मीर में एक वर्ष या इससे अधिक समय से रहते हैं वे आधार कार्ड, वाटर, इलेक्टि्सिटी बिल, गैस कनेक्शन, बैंक पासबुक, पासपोर्ट या रजिस्टर्ड लैंड डीड के आधार पर वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करा सकते हैं। इस आदेश का विरोध नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस सहित कई राजनैतिक दलों ने किया। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने नए नियमों को डिफेंड किया है। वहीं भारी विरोध के बाद प्रशासन ने यह आदेश फिलहाल वापस ले लिया है। वहीं गुपकार संगठन ने इसकी जांच के लिए अपनी कमेटी तक गठित कर दी है।

क्या कहते हैं राजनैतिक दल
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र सरकार कालोनियल शेटलर प्रोजेक्ट चला रही है। वहीं नेशनल कांफ्रेंस ने जम्मू कश्मीर की जनता से कहा कि इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया जाए। वहीं गुलाम नबी आजाद भी इन नियम से संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने कहा कि यह जम्मू कश्मीर में तनाव बढ़ाने का काम करेगा। वहीं बीजेपी नेता रविंद्र रैना ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि जम्मू कश्मीर से बाहर के लोग वोटिंग का हिस्सा बनें। संविधान में यह अधिकार सभी को दिया गया है। वहीं बीजेपी के अलावा सभी राजनैतिक दलों ने इस नियम का विरोध किया है।

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