Operation Kishtwar: जम्मू-कश्मीर में फिर बड़ी हलचल-आखिर अब किसे पकड़ने निकली सेना?
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ और डोडा में सेना ने जैश कमांडर सैफुल्लाह समेत आतंकियों की तलाश तेज कर दी है। 2000 जवान, स्थानीय सहयोग और बदली विंटर रणनीति के साथ बर्फीले इलाकों में ऑपरेशन जारी है। क्या आतंकियों के लिए अब कोई सुरक्षित ठिकाना बचा है?

चिल्लई कलां में बदली जंग की तस्वीर, पहाड़ों में 2000 जवान तैनात
जम्मू-कश्मीर एक बार फिर सुरक्षा कारणों से चर्चा में है। इस बार वजह है किश्तवाड़ और डोडा की पहाड़ियों में चल रहा भारतीय सेना का बड़ा आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन। सूत्रों के मुताबिक, सेना बीते एक हफ्ते से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के कुख्यात आतंकवादियों की तलाश में जुटी हुई है। इनमें जैश का स्थानीय कमांडर सैफुल्लाह, उसका साथी आदिल और उनके कुछ अन्य सहयोगी शामिल हैं। माना जा रहा है कि ये आतंकी किश्तवाड़ की दुर्गम और घने जंगलों वाली पहाड़ियों में छिपे हुए हैं। इन्हें पकड़ने के लिए सेना ने इलाके में बड़े पैमाने पर घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया है।
क्यों किश्तवाड़ बना आतंकियों की पनाहगाह?
किश्तवाड़ जिला लंबे समय से आतंकियों के लिए चुनौतीपूर्ण लेकिन सुरक्षित इलाका माना जाता रहा है। यहां की ऊंची पहाड़ियां, घने जंगल और सीमित संपर्क मार्ग आतंकियों को छिपने में मदद करते हैं। इसी वजह से सेना ने चतरू सब-डिवीजन के कई गांवों से अपना सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। सैनिक घर-घर तलाशी ले रहे हैं और हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा केशवन इलाके में भी नया ऑपरेशन शुरू किया गया है, जो जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर है।
2000 से ज्यादा जवान, क्या यह कोई बड़ा मिशन है?
इस पूरे ऑपरेशन में 2000 से ज्यादा जवान लगाए गए हैं। इतना बड़ा बल यह साफ संकेत देता है कि सेना इस बार कोई भी ढील नहीं देना चाहती। डोडा जिले के सोजधार इलाके में भी लगातार तलाशी अभियान चल रहा है। खास बात यह है कि कई स्थानीय ग्रामीण भी सेना की मदद के लिए आगे आए हैं। वे इलाके को अच्छी तरह जानते हैं और संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी सुरक्षा बलों तक पहुंचा रहे हैं।
पद्दर में अलग ऑपरेशन, हिजबुल कमांडर भी निशाने पर?
किश्तवाड़ के पद्दर सब-डिवीजन में एक अलग ऑपरेशन चल रहा है। यह इलाका हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी कमांडर जहांगीर सरूरी का गढ़ माना जाता है। उसके साथ दो अन्य स्थानीय आतंकी मुदस्सिर और रियाज भी सक्रिय बताए जाते हैं, जिन पर 10-10 लाख रुपये का इनाम घोषित है।
#WATCH | As the 40-day period of Chillai Kalan grips Jammu and Kashmir, the Indian Army has intensified its counter-terrorism operations across the Kishtwar and Doda districts. Undeterred by freezing temperatures, treacherous terrain, and heavy snowfall, Army units have expanded… pic.twitter.com/PBq482TMbV
— ANI (@ANI) December 27, 2025
चिल्लई कलां में भी क्यों नहीं रुकी सेना की कार्रवाई?
आमतौर पर सर्दियों के सबसे कठिन दौर ‘चिल्लई कलां’ के दौरान आतंकवादी गतिविधियां कम हो जाती हैं। भारी बर्फबारी और रास्ते बंद होने के कारण आतंकी भी सीमित हो जाते हैं। लेकिन इस बार सेना ने अपनी रणनीति बदली है।
बर्फीली पहाड़ियों में ‘प्रोएक्टिव विंटर स्ट्रैटेजी’ के तहत सेना का निर्णायक एक्शन
रक्षा सूत्रों के अनुसार, सेना ने इस सर्दी में “प्रोएक्टिव विंटर पोज़िशन” अपनाई है। यानी ठंड में ऑपरेशन कम करने की बजाय, सेना ने बर्फीले इलाकों में अंदर तक अस्थायी कैंप और निगरानी चौकियां बना ली हैं।
Indian Army Intensifies Winter Operations in Kishtwar and Doda to Flush Out Pakistani Terrorists
As the bone-chilling winter descends upon the Himalayas and the 40-day period of Chillai Kalan grips Jammu & Kashmir, sources in the defence establishment have said that the Indian… pic.twitter.com/3iOARCBqyj— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) December 27, 2025
क्या आतंकियों के लिए अब कोई सुरक्षित जगह नहीं?
शून्य से नीचे तापमान और कम विजिबिलिटी के बावजूद, सेना के गश्ती दल लगातार पहाड़ियों, घाटियों और जंगलों में घूम रहे हैं। उद्देश्य साफ है-आतंकियों को कहीं भी छिपने का मौका न मिले। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति सेना की बदलती सोच और मजबूत इरादों को दिखाती है। मौसम या इलाका अब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में रुकावट नहीं बनेगा।

