सार

जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के 50वें चीफ जस्टिस बन गए हैं। बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड अयोध्या भूमि विवाद, धारा 377 और राइट टू प्राइवेसी जैसे जैसे मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले देने वाली पीठों का हिस्सा रहे हैं।

Who is DY Chandrachud: जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के 50वें चीफ जस्टिस बन गए हैं। बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड अयोध्या भूमि विवाद, धारा 377 और राइट टू प्राइवेसी जैसे जैसे मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले देने वाली पीठों का हिस्सा रहे हैं। बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ अपने पिता और भारत के पूर्व चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के नक्शेकदम पर चलते हैं। उनके पिता 1978 से 1985 तक सुप्रीम कोर्ट के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले चीफ जस्टिस थे। 

कई अहम बेंचों में शामिल रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ : 
जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐतिहासिक फैसले सुनाने वाली कई अहम बेंचों का हिस्सा रहे हैं। इनमें अयोध्या भूमि विवाद, धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने, सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने और आधार योजना की वैधता से जुड़े कई फैसले शामिल हैं। इसके अलावा जस्टिस चंद्रचूड मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में महत्वपूर्ण फैसला देने वाली बेंच का भी हिस्सा थे। 

कोरोना महामारी के दौरान लिया अहम फैसला : 
कोरोना महामारी के दौरान, जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने दूसरी लहर को "राष्ट्रीय संकट" बताते हुए लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे। इस बेंच ने केंद्र सरकार को रोगियों के उचित इलाज के लिए देश भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिए थे।

अयोध्या विवाद पर फैसला : 
जस्टिस चंद्रचूड़ पांच जजों वाली उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 9 नवंबर, 2019 को सर्वसम्मति के साथ अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया था। इसके साथ ही इस बेंच ने सरकार को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने के निर्देश दिए थे, ताकि सुन्नी वक्फ बोर्ड वहां मस्जिद बना सके। 

सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश पर फैसला : 
जस्टिस चंद्रचूड़ ने सबरीमाला मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि  मासिक धर्म की उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने से रोकने की प्रथा भेदभावपूर्ण है। साथ ही यह महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

नोएडा में अवैध ट्विन टॉवर को गिराने का आदेश : 
जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोएडा में 40 मंजिला सुपरटेक ट्विन टॉवर्स को तय मानदंडों का पालन न करने पर अवैध मानते हुए इन्हें ढहाने के निर्देश दिए थे। बाद में नोएडा के सेक्टर 93 में स्थित इन टॉवरों को 28 अगस्त, 2022 को ढहा दिया गया था। 

हॉर्वर्ड लॉ स्कूल से की कानून की पढ़ाई : 
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर, 1959 को हुआ। इनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे, जबकि मां प्रभा शास्त्रीय संगीतज्ञ रही हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल में जाने से पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज और कैंपस लॉ सेंटर से पढ़ाई की। बाद में उन्होंने हॉर्वर्ड से एलएलएम की डिग्री ली। जस्टिस चंद्रचूड को 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था।

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