सार
Ukraine crisis : 21 वर्षीय नवीन, खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। एक मार्च को वह किराने की दुकान के बाहर लाइन में लगा था, तभी रूसी गोलीबारी की चपेट में आकर उसकी मौत हो गई थी। उसके रूममेट के अनुसार, वह अन्य छात्रों के साथ एक बंकर में रह रहा था और मंगलवार को सीमा पर ट्रेन पकड़ने से पहले खाने का जरूरी सामान लेने के लिए बाहर निकला था, लेकिन रूसी हमले की चपेट में आ गया।
हावेरी(कर्नाटक)। रूस और यूक्रेन की जंग (Russia ukraine war) के बीच खारकीव में हमले का शिकार हुए छात्र नवीन शेखरप्पा के परिवार को कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने 25 लाख रुपए का चेक सौंपा। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Bsavraj Bommai) ने उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का भी वादा किया है। सीएम बोम्मई ने कहा कि नवीन का शव जल्द वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मैंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से इस संबंध में बातचीत की है। इसके अलावा अधिकारियों और यूक्रेन के राजदूतों के लगातार संपर्क में हूं।
मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था नवीन
21 वर्षीय नवीन, खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। एक मार्च को वह किराने की दुकान के बाहर लाइन में लगा था, तभी रूसी गोलीबारी की चपेट में आकर उसकी मौत हो गई थी। उसके रूममेट के अनुसार, वह अन्य छात्रों के साथ एक बंकर में रह रहा था और मंगलवार को सीमा पर ट्रेन पकड़ने से पहले खाने का जरूरी सामान लेने के लिए बाहर निकला था, लेकिन रूसी हमले की चपेट में आ गया।
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शव वापस लाने की कोशिश तेज
कर्नाटक में नवीन के परिजन उसके पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रहे हैं। उसके गृहनगर में पार्थिव शरीर कब लाया जाएगा, यह सवाल अब तक बना हुआ है। नवीन की मौत के दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे बात की थी। इस दौरान उसके पिता ने बेटे का शव जल्द बुलवाने की मांग की थी, लेकिन अब तक उसका शव नहीं आ सका है। युद्धग्रस्त क्षेत्र में शव को भारतीय दूतावास ने कब्जे में ले लिया है, लेकिन उसे वहां से निकालना मुश्किल हो रहा है। इसके बाद भी सरकार शव लाने का हर संभव प्रयास कर रही है।
अब तक 14 हजार छात्र वापस लाए गए
यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए मोदी सरकार चौबीसों घंटे काम कर रही है। आज सुबह 8 बजे तक दो उड़ानों से 393 छात्रों को वापस लाया गया। अब तक तकरीबन 14 हजार छात्रों को वापस लाया जा चुका है। पिसोचिन में कुछ छात्र फंसे थे, जिन्हें बॉर्डर तक लाने के लिए भारतीय दूतावास ने 5 बसें भेजी हैं। सुमी से भी छात्रों को निकालने की कोशिश चल रही है।
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