सार

कर्नाटक में पिछले तीन महीने से जारी हिजाब विवाद (Karnataka Hijab controversy) को लेकर 11 दिन चली सुनवाई पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने 33 दिन बाद अपना फैसला सुना दिया। यानी क्लास में हिजाब पर बैन जारी रहेगा। यह मुद्दा सोशल मीडिया पर ट्रेंड पकड़ गया है। पढ़िए कुछ मिलीजुली प्रतक्रियाएं....

बेंगलुरु. कर्नाटक में पिछले तीन महीने से जारी हिजाब विवाद (Karnataka Hijab controversy) को लेकर 11 दिन चली सुनवाई पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने 33 दिन बाद अपना फैसला सुना दिया। यानी क्लास में हिजाब पर बैन जारी रहेगा। यह मुद्दा सोशल मीडिया पर ट्रेंड पकड़ गया है। इसे लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। कर्नाटक सरकार ने इसे एक अच्छा फैसला बताया है। पढ़िए कुछ मिलीजुली प्रतक्रियाएं....

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Karnataka Hijab controversy:पहले जानें हाईकोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने की इजाजत देने से मना कर दिया। हाईकोर्ट ने कर्नाटक सरकार के 5 फरवरी को दिए आदेश को भी निरस्त करने से इनकार कर दिया, जिसमें स्कूल यूनिफॉर्म को जरूरी बताया गया था। इससे पहले बेंगलुरु आदि में धारा 144 लागू कर दी गई थी। संवेदनशील शहरों-कस्बों में कड़ी सुरक्षा बरती जा रही है। अकेले बेंगलुरु में 10000 पुलिस कर्मी ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं। वहीं बेंगलुरु में कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी के निवास के बाहर सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ा दी गई। शिवमोग्गा में स्कूल और कॉलेज एक दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं।

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लोगों के ये रियेक्शन आए
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई(Karnataka CM Basavaraj Bommai) ने कहा-यह हमारे बच्चों के भाग्य और शिक्षा का सवाल है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रबंध किए गए हैं।

कर्नाटक एडवोकेट जनरल प्रबुलिंग नवादकी ने कहा-कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखा है। व्यक्तिगत पसंद पर संस्थागत अनुशासन प्राथमिक होता है। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 25 की व्याख्या में एक बदलाव का प्रतीक है। 

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा-हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करता हूं। सभी लोगों से अपील करता हूं कि देश और राज्य को आगे बढ़ाएं। हम सबको शांति का माहौल बनाकर रखना है। छात्रों का मूलभूत काम अध्ययन और ज्ञान अर्जित करना है। सब लोग एक होकर पढ़ाई करें।

कर्नाटक सरकार में मंत्री केएस ईश्वरप्पा(KS Eshwarappa) ने कहा-मैं हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। राज्य के मुस्लिम छात्रों को लंबे समय तक समस्याओं का सामना करना पड़ा। किसी ने उन्हें गुमराह किया था, इसलिए यह मुद्दा था। सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए, इसलिए सभी को आदेश मानना चाहिए।

कर्नाटक सरकार में शिक्षा मंत्री बीसी नागेश( BC Nagesh) ने कहा-मुझे खुशी है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सरकार के रुख को बरकरार रखा है। मैं अदालत में गई लड़कियों से अनुरोध करता हूं कि वे फैसले का पालन करें, शिक्षा किसी भी अन्य चीजों से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा-हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का जो फैसला आया है वो बहुत ही स्वागत योग्य है। बहस की गई थी कि हिजाब पहनना हमारा मौलिक अधिकार है और ये आस्था का मूल अंग है।

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा-मैं स्कूल ड्रेस के मुद्दे पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं। उच्च न्यायालय के निर्णय ने सिद्ध कर दिया है कि धर्म और उसकी मान्यताओं पर संविधान सर्वोच्च है।

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा-हिजाब को लेकर जो हंगामा था वह इसलिए था कि कैसे मुस्लिम लड़कियों को औपचारिक शिक्षा से दूर रखें और तालिबानी सोच के साथ झौंक दें जिससे उन्हें औपचारिक शिक्षा न मिले। कोर्ट ने जो निर्णय लिया है वह भारत के संविधान और समाज के हिसाब से बिल्कुल ठीक है। 

भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या( BJP MP Tejasvi Surya) ने कहा-मैं कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं; यह विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय से संबंधित छात्राओं के शैक्षिक अवसरों और अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।

राष्ट्रीय महिला आयोग(NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा-मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का स्वगात करती हूं। जहां ड्रेस कोड लागू है वहां सभी बच्चों को पालन करना चाहिए। बच्चों को वापस स्कूल जाना चाहिए और इन सब में नहीं पड़ना चाहिए। बच्चों का इन सब में बहुत समय बर्बाद हुआ है और अपनी पढ़ाई की ओर लौटें।

कुछ जगहों पर नाराजगी
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए चेन्नई के द न्यू कॉलेज के छात्रों ने धरना दिया। 

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PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा-मैं समझती हूं कि एक तरफ तो हम बहुत बड़े दावे करते हैं औरतों के अधिकारों की कि उनको सशक्त बनाना है और दूसरी तरफ हम उनको ये भी हक नहीं देते हैं कि वो क्या पहने और क्या नहीं और अगर वो अपनी मर्जी के मुताबिक कपड़े पहनती हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है। सड़कों पर किस तरह से मवाली उनके पीछे पड़ जाते हैं और वहां की सरकारें तमाशबीन बन जाती हैं। मैं समझती हूं कि ये बहुत गलत है हर इंसान, औरत और बच्ची को हक होना चाहिए कि वो क्या कपड़े पहने और क्या नहीं। 

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी नाराजगी जाहिर की-हम कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 15 की अवहेलना करता है। हाईकोर्ट ने कहा है कि हिजाब आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है, लेकिन इसका निर्णय कौन करेगा? इस फैसले के ख़िलाफ़ हम इसलिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इस फैसले से नकारात्मक असर होगा और जगह-जगह मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया जाएगा। संविधान में विवेक की स्वतंत्रता के तहत हमें इज़ाजत है कि अपना हिजाब भी पहनू और शिक्षा भी हासिल करूं।

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