सार
राजस्थान में अराजनैतिक संगठन होने के बाद भी करणी सेना का बेहद गहरा राजनीतिक प्रभाव है।
Karni Sena History: राजस्थान में नई सरकार के आने के पहले जयपुर में मंगलवार को सनसनी मच गई। राज्य की राजधानी में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की बदमाशों ने घर में घुसकर हत्या कर दी। इस हत्या के बाद एक बार फिर करणी सेना सुर्खियों में है। राजस्थान में अराजनैतिक संगठन होने के बाद भी करणी सेना का बेहद गहरा राजनीतिक प्रभाव है।
करणी सेना का गठन साल 2006 में हुआ था। यह राजपूत समाज का प्रमुख संगठन है। हालांकि, यह मुख्य रूप से राजस्थान में अधिक प्रभावी है लेकिन देश के अन्य राज्यों में भी करणी सेना काफी प्रभावी क्षत्रिय संगठन मानी जाती है।
राजनीतिक संगठन नहीं लेकिन राजनीति करती है तय
करणी सेना, वैसे तो राजनीतिक संगठन नहीं है। लेकिन इसका राजनैतिक प्रभाव काफी गहरा और असरकारी है। राजपूतों के इस संगठन में मूलत: युवा ही जुड़े हुए हैं। यह सेना काफी उग्र मानी जाती है।
कैसे पड़ा करणी सेना का नाम?
करणी सेना का नाम करणी माता के नाम पर रखा गया था। इसके अनुयायी, करणी माता को हिंगलाज माता का अवतार मानते हैं। हिंगलाज माता, 51 शक्तिपीठ में एक हैं। हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हैं।
पद्मावत फिल्म के प्रदर्शन पर लगाई थी रोक
करीब छह साल पहले 2017 में करणी सेना उस समय सुर्खियों में आई थी जब पद्मावती फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया था। उग्र प्रदर्शन को देखते हुए फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म का नाम बदल कर पद्मावत कर लिया था। हालांकि, तमाम जगहों पर करणी सेना ने फिल्म का प्रदर्शन नहीं होने दिया। भारी सुरक्षा के बीच फिल्म को रिलीज किया गया था। क्षत्रिय समाज, पद्मावत फिल्म के रिलीज पर काफी नाराज दिखा और अगले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की खिलाफत की। राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार के सत्ता से जाने की एक वजह करणी सेना का विरोध भी उस समय रहा था।
कई गुटों में बंटी करणी सेना
क्षत्रिय समाज के प्रमुख संगठन करणी सेना बाद में आंतरिक खींचतान की भी शिकार हुई। इसके बाद इसके कई टुकड़े हुए। वर्तमान में करणी सेना के तीन गुट सक्रिय हैं। इस वक्त श्री राजपूत करणी सेना, श्री राजपूत करणी सेवा समिति और श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना सक्रियता केसाथ काम कर रही है।
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