सार

कश्मीर (kashmir) में अब हिंदू (Hindu) और बौद्ध (Buddhist)धर्म स्थलों की बदहाली खत्म होगी। मोदी सरकार ने इसके लिए बड़ी पहल की है। इसके तहत मंदिरों और स्मारकों को संरक्षित कर उनका जीर्णोद्धार किया जाएगा।
 

श्रीनगर। कश्मीर घाटी (Kashmir) के बदहाल होते हिंदू (Hindu) और बौद्ध (Buddhist) स्मारक जल्द ही संरक्षित (Save) होंगे। मोदी सरकार (Modi Government) ने इसकी पहली की है। इसके तहत राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) ने पहली बार घाटी के हिंदू और बौद्ध स्मारकों का विस्तृत सर्वे (Survey) किया है। NMA के अध्यक्ष तरुण विजय कहते हैं कि आतंकवाद ने न केवल कश्मीर के मानव जीवन पर भारी असर डाला है, बल्कि हिंदू बौद्ध मंदिरों और स्मारकों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। 

व्हीलचेयर पर होने के बावजूद विजय ने नावारी, मार्तंड मंदिर के खंडहर, अवंतीपोरा, हरवन बौद्ध स्थल, परिहासपुरा, पट्टन के नारानाग समूह के मंदिरों और प्रताप सिंह म्यूजियम सहित श्रीनगर के अन्य स्थलों में हिंदू और बौद्ध मंदिरों और स्मारकों का दौरा किया। उन्होंने कहा कि इन स्मारकों को बचाए रखने के लिए यदि हम तुरंत कदम नहीं उठाएंगे तो यह नष्ट और लुप्त हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि हम मारतंड मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ यहां के तीन प्रमुख प्राचीन स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल करने की योजना तैयार कर रहे हैं। 

अवैध कब्जों पर ASI ने दर्ज कराईं दर्जनों FIR
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Lieutenant Governor Manoj Sinha) ने भी विरासत की रक्षा के लिए नया अभियान शुरू किया है। तरुण विजय इसके लिए सिन्हा का आभार जताया। उन्होंने बताया कि इसके तहत डीसी श्रीनगर (Srinagar) एजाज भट्ट ने विचारनाग मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया है। केंद्र और राज्य के एएसआई (ASI) के जिन अधिकारियों ने कई चुनौतियों, पैसे और मैन पावर की कमी के बावजूद कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्हें विशेष सम्मान और प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।  सिर्फ नारंग क्षेत्र में ही एसआई के अधिकारियों ने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ 19 मामले दर्ज कराए हैं। यहां बहुत सारे हिंदू और बौद्ध मंदिरों में अवैध रूप से कब्जा करके रखा गया है।  

मंदिर के गेट पर आज भी जिहादी नारे 
रैनावारी के प्राचीन विताल भैरव मंदिर को जलाकर दिया गया था, लेकिन इसे राज्य या केंद्रीय एएसआई (ASI) सूची में लिस्टेड नहीं किया गया है। इस मंदिर के गेट पर आज भी जिहादियों द्वारा लिखे गए राष्ट्र विरोधी नारे देखे जा सकते हैं। 

अभी संग्राहलयों में संसाधनों की कमी 
राज्य एएसआई में कोई डायरेटर या डिप्टी डायरेक्टर नियुक्त नहीं है। यहां के भव्य एसपीएस संग्रहालय में क्यूरेटर की कमी है। यहां एसी रूम या वार्मिंग की सुविधा तक नहीं है। जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में एक भी राज्य संरक्षित स्मारक में रखरखाव के लिए सुरक्षा व्यक्ति या गार्ड नहीं है। इन सभी के लिए उचित बजट की जरूरत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह राज्य और केंद्र के स्तर पर पूरा किया जाएगा। 

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