सार
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कहा कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का ट्रांसफर जम्मू किया जाना चाहिए। उनकी जान बचाने के लिए यह जरूरी है।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने सोमवार को कहा कि घाटी में तैनात कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit ) कर्मचारियों की टारगेट किलिंग हो रही है। आतंकवादी उन्हें चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं। उनकी जान बचाने के लिए जरूरी है कि उन्हें स्थिति ठीक होने तक अस्थायी रूप से जम्मू ट्रांसफर किया जाए।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि स्थिति के अनुसार निर्णय लिया जाना चाहिए। जब स्थिति में सुधार होता है तो उन्हें वापस आना चाहिए। वर्तमान में इन कर्मचारियों के मन में डर है। फिलहाल उन्हें जम्मू ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए ताकि उनकी जान बचाई जा सके। आजाद ने सवाल किया, "उन्हें क्यों मारा जाना चाहिए?"
अनंतनाग जिले में एक रैली के बाद पत्रकारों से बात करते हुए आजाद ने कहा कि पिछले एक साल में टारगेट किलिंग की घटनाओं के कारण यह स्थिति पैदा हो गई है कि घाटी में तैनात कश्मीरी पंडित कर्मचारी यहां नहीं रहना चाहते हैं। अगर ऐसी स्थिति रही तो दूसरे कश्मीरी पंडित किस तरह कश्मीर लौटेंगे। आजाद ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे तो कश्मीरी पंडितों को मिले पीएम पैकेज के तहत 6 हजार पोस्ट स्वीकृत किए थे। उन्होंने कहा, "मेरे कार्यकाल में जगती टाउनशिप बनी। बडगाम और अन्य जगहों पर घर बनाए गए।"
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर आजाद बोले- कुछ लोग आसान काम चुनते हैं
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर किए गए सवाल के जवाब में आजाद ने कहा कि वह जो कर रहे हैं उन्हें करने दीजिए। हम अपना काम कर रहे हैं। हम भी एकता के लिए काम कर रहे हैं। हम यहां बर्फ से ढंके पहाड़ पर चल रहे हैं। कुछ लोग आसान काम चुनते हैं। हम कठिन काम अपने हाथ में लेते हैं।
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उग्रवादियों से निपटने के लिए अलग नीति बने
रैली में आजाद ने कहा कि उग्रवादियों से निपटने के लिए एक अलग नीति होनी चाहिए। उग्रवादियों से निपटने की नीति को आम लोगों तक नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। हर कश्मीरी को शक की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। दो तरह के लोग हैं। एक आतंकवादी है, जिसे पाकिस्तान में या यहां हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग मिली है। उनसे निपटने के लिए हर सरकार की एक नीति होती है। मैंने यह नहीं कहा है कि उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए। ऐसे सामान्य लोग जिनका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है। उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
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