सार

केरल के पलक्कड़ जिले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(RSS) के कार्यकर्ता के मर्डर में पुलिस ने इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन PFI के एक लीडर को अरेस्ट किया है। इस मामले में तीन लोगों को पकड़ा गया है। 27 वर्षीय संजीत की 15 नवंबर को हत्या की गई थी।
 

तिरुवनन्तपुरम(Thiruvananthapuram). केरल के पलक्कड़ में 15 नवंबर को हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) के कार्यकर्ता की हत्या में इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) का हाथ सामने आया है। पुलिस ने सोमवार को PFI के एक पदाधिकारी को गिरफ्तार किया है। जिला पुलिस प्रमुख आर विश्वनाथ ने बताया कि पकड़ा गया आरोपी सीधे तौर पर 27 वर्षीय एस. संजीत(S. Sanjit) की हत्या में शामिल था। पुलिस के अनुसार, शिनाख्ती के लिए अभी उसकी परेड होना है। इस बीच पीड़ित की पत्नी ने कहा था कि वो उन लोगों को पहचान सकती है, जिन्होंने संजीत का मारा। 

भाजपा कर रही है NIA से जांच की मांग
ए. संजीत की हत्या उस समय की गई थी, जब वो अपनी पत्नी को दफ्तर से लेकर आ रहा था। आरोपियों ने संजीत पर 50 से अधिक बार चाकू से हमला किया था। हत्याकांड के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया था। भाजपा पहले ही इस हत्याकांड में PFI की भूमिका पर सवाल उठाती आ रही है। भाजपा का आरोप है कि इस हत्याकांड में PFI की राजनीति शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया(SDPI) का हाथ है। इस मामले को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह(Union Home Minister Amit Shah) से मुलाकात करके मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी(NIA) से कराने की मांग उठाई थी। भाजपा नेता ने गृहमंत्री को सौंपे एक पत्र में लिखा कि पिछले 5 सालों में कथित जिहादी समूहों ने केरल में RSS-BJP के 10 कार्यकर्ताओं की हत्या की है। राज्य में अब तक संघ के 50 कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है।

तीन आरोपी पकड़े जा चुके हैं
संजीत हत्याकांड में पुलिस ने तीन आरोपियेां को जुबैर (Zubair) (पलक्कड़ का मूल निवासी), सलाम और इशाक (दोनों नेम्मारा से) को पकड़ा है। भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने 25 नवंबर को इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। केरल में भाजपा के महासचिव पी सुधीर ने 22 नवंबर को आरोप लगाया कि यह हत्या राजनीतिक विरोध की वजह से हुई। भाजपा ने वामपंथी सरकार पर हमलावरों को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया।

CAA विरोध के दौरान हिंसा में लिप्त रहा है PFI
PFI पर यूपी सहित कुछ अन्य राज्यों में लगातार बैन की मांग उठती रही है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में नागरिकता संशोधन कानून(CAA) के विरोध में हिंसा फैली थी। इसके पीछे भी इसी संगठन का हाथ बताया गया था। 2020 में हाथरस में हुए दंगे में भी इसकी भूमिका सामने आई थी।

क्या है पीएफआई?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को चरमपंथी इस्लामिक संगठन माना जाता है। यह खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है। 2006 में इस संगठन की स्थापना नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF)के उत्तराधिकारी के रूप में हुई। इस संगठन का मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में है। मुस्लिम संगठन होने के चलते इसकी गतिविधियां मुस्लिमों के आस-पास मानी जाती हैं। 

23 राज्यों में सक्रिय है पीएफआई?
मौजूदा वक्त की बात करें तो पीएफआई 23 राज्यों में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। हालांकि, इसकी कार्यप्रणाली पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। इसके बावजूद संगठन खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है। 
 
विवादों से है पुराना नाता

  • - 1977 में  स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का गठन हुआ था। इसपर 2006 में बैन लगा था। इसके तुरंत बाद पीएफआई का गठन किया गया। दोनों संगठन की कार्यप्रणाली भी एक जैसी है। इसमें ज्यादातर सदस्य वही हैं, जो सिमी से जुड़े थे। ऐसे में विरोधी पीएफआई को सिमी का दूसरा विंग कहते हैं।
  •  इस संगठन को बैन करने की मांग 2012 में भी उठी थी। लेकिन उस वक्त केरल सरकार ने पीएफआई का समर्थन किया था। 
  •  केरल पुलिस ने इसके बाद कुछ पीएफआई कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया था, इनके पास से बम, हथियार, सीडी और तमाम ऐसे दस्तावेज जब्त किए गए थे, जिनसे ये अल कायदा और तालिबान से प्रभावित नजर आ रहे थे।
  •  2016 में एनआईए ने केरल के कन्नूर से आतंकी संगठन आईएस से प्रभावित अल जरूल खलीफा ग्रुप का खुलासा किया था। इसे देश के खिलाफ जंग छेड़ने और समुदायों को आपस में लड़ाने के लिए बनाया गया था। बाद में एनआईए को जांच में पता चला कि गिरफ्तार किए गए ज्यादातर सदस्य पीएफआई से थे। 
  • नागरिकता कानून के विरोध में दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में हुए दंगों में भी पीएफआई का हाथ बताया गया था। इतना ही नहीं पीएफआई ने दंगों के लिए फंडिंग भी की थी। इस दौरान पीएफआई के कई कार्यकर्ता भी गंभीर आरोपों को लेकर गिरफ्तार हुए थे। 

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