सार

हाल के घटनाक्रमों के बाद पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की चर्चाओं के बीच समझें कि राष्ट्रपति शासन क्या है, यह कैसे लागू होता है और इसके क्या प्रभाव होते हैं।

What is President Rule: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप के बाद हुए मर्डर के चलते पूरे देश में आक्रोश है। इस मामले में बंगाल की ममता सरकार भी कटघरे में है। सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मामले में संज्ञान लेते हुए कई सवाल खड़े किए हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। आखिर क्या है राष्ट्रपति शासन और किन हालातों में लगाया जाता है?

राष्ट्रपति शासन क्या है?

राष्ट्रपति शासन वह होता है, जब राज्य सरकार को निलंबित कर दिया जाता है और केंद्र सरकार राज्यपाल (केंद्र द्वारा नियुक्त) के माध्यम से सीधे राज्य का प्रशासन अपने हाथ में ले लेती है। यानी राष्ट्रपति शासन लगते ही उस राज्य की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था केंद्र के हाथों में चली जाती है।

किन हालातों में लगता है राष्ट्रपति शासन?

संविधान के आर्टिकल 356 के तहत किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति शासन दो तरीकों से लगाया जा सकता है।

पहला- जब राज्य की विधानसभा में कोई भी एक दल अपना बहुमत साबित नहीं कर पाता है।

दूसरा- अगर राज्यपाल या फिर राष्ट्रपति को लगता है कि राज्य सरकार संविधान के मुताबिक सरकार नहीं चला पा रही है अथवा संविधान की मूल भावना की अनदेखी कर रही है, तो राष्ट्रपति अपनी ताकत का इस्तेमाल कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है।

कितने दिनों के लिए लगाया जा सकता है राष्ट्रपति शासन?

कैबिनेट की मंजूरी के बाद किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया जाता है। हालांकि, राष्ट्रपति शासन लगने के 2 महीने के अंदर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसकी मंजूरी जरूरी होती है। केंद्र के पास अधिकतम 6 महीने तक किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार होता है। अगर इसे 6 महीने से आगे बढ़ाना है तो दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) की मंजूरी जरूरी होती है। सरकार चाहे तो इसे हर 6 महीने बाद संसद से मंजूरी लेकर आगे बढ़ा सकती है।

पश्चिम बंगाल में लगा राष्ट्रपति शासन तो क्या-क्या बदलेगा?

- पश्चिम बंगाल में अगर राष्ट्रपति शासन लगता है तो मंत्रिपरिषद को भंग कर दिया जाएगा। इसके साथ ही राज्य की पूरी पावर राष्ट्रपति के पास आ जाएगी। यानी राज्य की एडमिनिस्ट्रेटिव पावर खत्म हो जाएगी।

- इसके बाद राष्ट्रपति के आदेश पर राज्यपाल राज्य के मुख्य सचिव और अन्य सलाहकारों की मदद से कामकाज देखता है।

- राष्ट्रपति अगर चाहे तो राज्य विधानसभा को भंग करके उसकी ताकत संसद को सौंप सकता है। यानी इन हालातों में संसद ही राज्य से जुड़े अहम कानून बनाने और बजट पेश करने जैसे काम करेगी।

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