सार
कोलकाता के सरकारी अस्पताल में ड्यूटी के दौरान महिला डॉक्टर से रेप और हत्या का मामला पश्चिम बंगाल की शासन व्यवस्था में काला अध्याय बन गया है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का शासन कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले के चलते सवालों के घेरे में है। यह मामला राज्य की शासन व्यवस्था में काला अध्याय बन गया है। मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम ने कई कड़ी बातें कहीं।
'पश्चिम बंगाल सरकार ने मामले को निपटाने में लापरवाही बरती।'
यकीन नहीं होता कि कैसे पश्चिम बंगाल ने भीड़ को आरजी कर हॉस्पिटल में तोड़फोड़ करने दिया।'
'यह पुलिस की जिम्मेदारी थी कि अपराध स्थल को सुरक्षित करे।'
'सुबह अपराध का पता चला, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने आत्महत्या बताने की कोशिश की।'
'FIR दर्ज करने में देरी और शोकाकुल माता-पिता के लिए शव तक पहुंच में रोक चिंता की बात है।'
सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की सख्त बातें पश्चिम बंगाल सरकार के लिए कहीं। राज्य सरकार और पुलिस को लगाई गई यह फटकार साफ-साफ बताती है कि बंगाल में किस तरह शासन व्यवस्था चल रही है। इस घटना के खिलाफ बंगाल समेत पूरे देश में डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
आत्महत्या बताकर की गई डॉक्टर हत्याकांड दबाने की कोशिश
9 अगस्त की सुबह अस्पताल के सेमिनार हॉल में महिला डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिला था। अस्पताल प्रशासन और पुलिस द्वारा पहले इसे आत्महत्या बताया गया। बाद में जानकारी आई कि यह रेप और हत्या का मामला है। इस केस में कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने आत्महत्या बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की। इसके चलते वह और बंगाल पुलिस सवालों के घेरे में हैं।
ममता बनर्जी पर थी दोहरी जिम्मेदारी
स्वास्थ्य मंत्रालय सीएम ममता बनर्जी के पास है। इसके चलते इस मामले में उनपर दोहरी जिम्मेदारी थी। इस गंभीर मुद्दे को ठीक तरह संभालने की जगह ममता ने सड़क पर आकर विरोध प्रदर्शन किया। इससे उनकी खूब आलोचना हुई है। पहले तो बंगाल पुलिस ने हत्याकांड की जांच में लापरवाही बरती और जब हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया तो सीएम सड़क पर उतर गईं।
टीएमसी के लोगों ने आरजी कर अस्पताल में की तोड़फोड़
डॉक्टर की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे और ममता सरकार पर मामले को दबाने के आरोप लग रहे थे। इस बीच 15 अगस्त की रात भीड़ ने आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ कर दिया। इससे स्थिति और गंभीर हो गई। आरोप लगे कि सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी से जुड़े गुंडों ने सबूतों को नष्ट करने के लिए हॉस्पिटल में तोड़फोड़ की। सीसीटीवी फुटेज में हिंसा में टीएमसी सदस्यों के करीबी लोगों की संलिप्तता दिखी है। इससे मामले को दबाने के संदेह को और बल मिलता है।
ममता बनर्जी और उनकी पुलिस पर उठ रहे ये सवाल
- पीड़िता का शव उसके माता-पिता को तुरंत क्यों नहीं दिखाया गया? किसने देरी का आदेश दिया?
- अपराध स्थल पर ऐसा क्या हो रहा था जिसके कारण डॉक्टर के माता-पिता को जाने नहीं दिया गया?
- हॉस्पिटल के जिस विभाग के पास डॉक्टर का शव मिला वहां अचानक मरम्मत का काम क्यों शुरू किया गया, जिससे अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ हो सकती है?
- कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
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ममता बनर्जी के लिए लिटमस टेस्ट बना डॉक्टर हत्याकांड
सीबीआई जांच को आगे बढ़ा रही है। पश्चिम बंगाल और पूरे देश की नजर इसपर है। इस मामले ने पश्चिम बंगाल में कानून के शासन में गंभीर गड़बड़ी सामने लाई है। यह ममता बनर्जी के लिए लिटमस टेस्ट बन गया है। कई लोगों का मानना है कि वह पहले ही इसमें फेल हो गईं हैं।
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