सार

कुमार विश्वास ने लिखा,"सोचता था कि इतने पराक्रमी-पुरुषार्थी और देशभक्त बच्चों की भारत मां कैसे 1000 साल गुलाम रही। आज देखकर समझ आता है। देश मरता हो मर जाए पर कुछ नीचों का मजहबी-तुष्टिकरण वाला वोट जुगाड़ एजेंडा बचना चाहिए।"

नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस बीच केजरीवाल के पुराने साथ रहे कवि कुमार विश्वास ने बिना नाम लिए दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "हजारों करोड़ों के विज्ञापन देकर मीडिया को चुप करा लोगे नीचेश्वर। दिन में चार बार प्रेस कॉन्फ्रेंस और सौ बार पैसे देकर एड के बहाने चेहरा भी दिखा लोगे। पर ईश्वर कभी तो तुम्हारे इन बेहिसाब पापों का हिसाब करेगा। भारत के अखंडित तप का पुण्यफल दे ईश्वर। हमारे गांवों-गरीबों को बचा।"

एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट किए : कुमार विश्वास ने एक के बाद एक तीन ट्वीट किए। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, "सोचता था कि इतने पराक्रमी-पुरुषार्थी और देशभक्त बच्चों की भारत मां कैसे 1000 साल गुलाम रही।  आज देखकर समझ आता है। देश मरता हो मर जाए पर कुछ नीचों का मजहबी-तुष्टिकरण वाला वोट जुगाड़ एजेंडा बचना चाहिए। शायद हम डिजर्व भी करते है जो ऐसे लंपटों को पहचानने के बाद भी चुनते हैं।" उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा, "आज नहीं तो कल निकलेगा, इस विपदा का हल निकलेगा।"

निजामुद्दीन मरकज मामले में 6 लोगों पर एफआईआर : मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, निजामुद्दीन मरकज मामले के 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनके नाम मौलाना साद, डॉक्टर जीशान, मुफ्ती शहजाद, एम सैफी, यूनुस और मोहम्मद सलमान है। 

सुबह 3.30 बजे तक खाली कराया गया मरकज : पुलिस के मुताबिक, मरकज को 1 अप्रैल की सुबह लगभग 3:30 बजे तक खाली कराया गया। इस जगह को खाली करने में 5 दिन लगे।

मरकज से 2361 लोगों को निकाला गया : दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, 2361 लोगों को मरकज से निकाला गया, इनमें से 617 को अस्पताल ले जाया गया बाकी को ​क्वारंटाइन किया गया है। ये 617 वो लोग हैं जिनमें किसी तरह के लक्षण हैं। 

मरकज में आए लोगों की लिस्ट बनाकर किया जा रहा फोन : मनीष सिसोदिया ने कहा, सभी लोगों की लिस्ट बनाकर उनके फोन नंबर लेकर पुलिस को दे दिए गए हैं, पुलिस की साइबर सेल इन सब के नंबरों की जांच करेगी और देखेगी कि ये किस-किस से मिले हैं, किस से मिल रहे हैं। 
 
क्या है निजामुद्दीन मरकज तब्लीगी जमात मामला?

- निजामुद्दीन में 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात मरकज का जलसा था। यह इस्लामी शिक्षा का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे। यहां पर आने वालों की संख्या करीब 5 हजार थी। जलसा खत्म होने के बाद कुछ लोग तो लौट गए, लेकिन लॉकडाउन की वजह से करीब 2 हजार लोग तब्लीगी जमात मरकज में ही फंसे रह गए। लॉकडाउन के बाद यह इकट्ठा एक साथ रह रहे थे।

- तब्लीगी मरकज का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कई बार प्रशासन को बताया कि उनके यहां करीब 2 हजार लोग रुके हुए हैं। कई लोगों को खांसी और जुखाम की भी शिकायत सामने आई। इसी दौरान दिल्ली में एक बुजुर्ज की मौत हो गई। जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित था और वहीं निजामुद्दीन में रह रहा था। तब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।

- खुलासा होने के बाद तब्लीगी मरकज से लोगों को निकाला गया। जो तब्लीगी मरकज से लौटकर अपने घर गए थे, वे भी कोरोना संक्रमित पाए गए। उनमें 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें तेलंगाना में 6, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में एक-एक व्यक्ति की मौत कोरोना संक्रमण से मौत हुई है।