सार
Lakhimpur Violence : एडवोकेट शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पंडा द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि जमानत पर बाहर निकलकर आशीष मिश्रा इस बड़े मामले में अपने खिलाफ सबूत नष्ट कर सकता है। उस पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप है। ऐसे में उन गवाहों, किसानों और मामले से जुड़े अन्य लोगों को जान का खतरा हो सकता है।
नई दिल्ली। 3 अक्टूबर 2021 के यूपी के लखीमपुर में किसानों पर एसयूवी चढ़ाने के आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' (Ajay Mishra) के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में चुनौती दी गई है। इस याचिका में आशीष की जमानत रद्द करने और इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court) के जमानत देने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है। आशीष मिश्रा दो दिन पहले ही जमानत पर जेल से बाहर आए हैं।
गवाहों, किसानों को हो सकता है जान का खतरा
एडवोकेट शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पंडा द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि जमानत पर बाहर निकलकर आशीष मिश्रा इस बड़े मामले में अपने खिलाफ सबूत नष्ट कर सकता है। उस पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप है। ऐसे में उन गवाहों, किसानों और मामले से जुड़े अन्य लोगों को जान का खतरा हो सकता है। इन वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस मामले में प्रभावितों को तत्काल मुआवजा देने के भी निर्देश दें।
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गोली किसी को लगी नहीं, इस आधार पर जामनत
लखीमपुर मामले में पुलिस ने 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। पुलिस का दावा है कि इस मामले में आशीष मिश्रा के लायसेंस असलहे से फायरिंग की गई। लेकिन कोर्ट ने सवाल किया कि FIR में आशीष मिश्रा को फायरिंग करने वाला बताया गया, लेकिन किसी को भी गोली से चोट नहीं आई। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
राजनीतिक पार्टियों ने भी जताया विरोध
आशीष मिश्रा को जमानत मिलने का राजनीतिक पार्टियों ने भी विरोध किया। कांग्रेस शुरू से इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग करती आई है। संसद के शीत सत्र से लेकर बजट सत्र तक यह मुद्दा छाया रहा। हालांकि, अजय मिश्रा के खिलाफ भाजपा की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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