सार
विवादित असम-मेघालय सीमा पर मंगलवार(22 नवंबर) तड़के भड़की हिंसा के बाद सीमावर्ती जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। इंटरनेट सेवाएं भी सस्पेंड कर दी गई हैं। इस हिंसा में एक वन रक्षक समेत 6 लोगों की मौत हो गई थी।
गुवाहाटी/शिलांग. विवादित असम-मेघालय सीमा पर मंगलवार(22 नवंबर) तड़के भड़की हिंसा के बाद सीमावर्ती जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। इंटरनेट सेवाएं भी सस्पेंड कर दी गई हैं। इस हिंसा में एक वन रक्षक समेत 6 लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद कानून और व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए मेघालय ने 7 जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं। असम पुलिस ने सीमावर्ती जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है। इस मामले की जांच हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज से कराने का भी आदेश दिया गया है। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
अवैध लकड़ी ले जा रहे लोगों को रोकने पर हुई थी हिंसा
1. मंगलवार को असम-मेघालय सीमा से लगे मुकरोह क्षेत्र में अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को रोके जाने के बाद हुई गोलीबारी में पश्चिम जयंतिया हिल्स के तीन लोगों और असम वन रक्षक सहित कम से कम चार लोगों की मौत हो गई थी। (तस्वीर-असम-मेघालय सीमा पर व्हीकल्स की चेकिंग करती असम पुलिस। हिंसा के एक दिन बाद पुलिस सख्ती दिखा रही है।)
2. दोनों राज्यों के बीच 884.9 किलोमीटर लंबी अंतर्राज्यीय सीमा से सटे 12 क्षेत्रों में पुराना विवाद है। जिस स्थान पर यह घटना हुई, वह उनमें से एक है।
3. असम पुलिस के अधिकारियों ने दावा किया कि ट्रक को राज्य के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में एक वन विभाग की टीम द्वारा रोका गया था। इस पर मेघालय की ओर से आई भीड़ ने राज्य के वन रक्षकों और पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया था, जिसके कारण स्थिति को नियंत्रण करने असम पुलिस ने फायरिंग की थी। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने कहा कि हिंसा में मारे गए 6 लोगों में से 5 मेघालय के निवासी थे और एक असम फॉरेस्ट गार्ड है।
4. घटना के घंटों बाद मेघालय के शिलांग शहर के झालुपारा इलाके में असम रजिस्टर्ड संख्या वाले एक वाहन को कथित तौर पर अज्ञात व्यक्तियों द्वारा आग लगा दी गई थी।
5. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा को टैग करते हुए एक ट्वीट में, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा (जिनकी पार्टी भाजपा की सहयोगी है) ने शिकायत की कि असम पुलिस और वन रक्षकों ने मेघालय में प्रवेश किया और अकारण फायरिंग की कार्रवाई की।"
6. मेघालय के मुख्यमंत्री ने मृतक व्यक्तियों के परिजनों के लिए 5-5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के मंत्रियों की एक टीम 24 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेगी और मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग करेगी। संगमा ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को घटना पर एक रिपोर्ट भी सौंपेगा।
7. कैबिनेट की बैठक के बाद संगम ने कहा, "हम मामले की सीबीआई या एनआईए जांच के लिए केंद्र से अपील करेंगे। फिलहाल मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया जाएगा।"
8. असम सरकार ने भी कहा कि वह गोलीबारी की घटना की जांच केंद्रीय या तटस्थ एजेंसी को सौंप देगी और छह मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि के रूप में पांच-पांच लाख रुपए देगी।
9. पश्चिम कार्बी आंगलोंग के एसपी इमदाद अली (जिनका बाद में तबादला कर दिया गया था) ने बताया कि असम वन विभाग की टीम ने सुबह करीब तीन बजे मुकरोह इलाके में लकड़ी से लदे ट्रक को रोका था। जैसे ही ट्रक ने भागने की कोशिश की, वन रक्षकों ने उस पर फायरिंग कर दी। एक टायर की हवा निकाल दी। उन्होंने कहा कि वाहन के चालक, अप्रेंटिस और एक अन्य व्यक्ति को पकड़ लिया गया, हालांकि अन्य भागने में सफल रहे।
10. अली ने कहा कि वन रक्षकों ने ज़िरिकेंडिंग पुलिस स्टेशन से संपर्क किया, तो अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर पहुंचा। अधिकारी ने कहा कि पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद सुबह करीब पांच बजे मेघालय से बड़ी संख्या में लोग दाऊस (कटार) और अन्य हथियारों से लैस होकर घटनास्थल पर जमा हो गए।
11. अली ने कहा कि भीड़ ने गिरफ्तार किए गए लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए वन रक्षकों और पुलिस कर्मियों पर हमला किया, जिसके बाद पुलिस को स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए फायरिंग करनी पड़ी।
12. बाद में असम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन लोगों को दो निकटवर्ती जिलों के शीर्ष नागरिक और पुलिस प्रशासन के बीच चर्चा के बाद विश्वास बहाली उपाय के रूप में मेघालय को सौंप दिया गया है।
13. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, "वन रक्षक को भीड़ ने धारदार हथियारों से मार डाला। उसकी राइफल भी छीन ली। यह तब था, जब स्थिति को नियंत्रित करने के लिए असम की ओर से गोली चलानी पड़ी।
14. मेघालय सरकार ने मंगलवार सुबह 10.30 बजे से 48 घंटे के लिए पश्चिम जयंतिया हिल्स, पूर्वी जयंतिया हिल्स, पूर्वी खासी हिल्स, री भोई, पूर्वी पश्चिम खासी हिल्स, पश्चिम खासी हिल्स और दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं।
15. मेघालय सरकार द्वारा SIT बुलाए जाने और मुकरोह गांव में गोलीबारी की घटना पर FIR दर्ज करने के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह घटना असम के क्षेत्र में हुई थी न कि मेघालय की। असम सरकार ने जिरिकिंगडिंग पुलिस स्टेशन के आफिस इन चार्ज को निलंबित कर दिया है। वहीं, पश्चिम कार्बी आंगलोंग के एसपी इमदाद अली का तबादला कर दिया है। उनकी जगह मृणाल डेका को एसपी बनाया जाएगा।
16. एक आफिसियल स्टेटमेंट में कहा गया है, "मंगलवार को पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के जिरीकिंडिंग पुलिस स्टेशन के अंतर्गत मुखरो में गोलीबारी की घटना के मद्देनजर राज्य सरकार ने गौहाटी हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक सदस्यीय इन्क्वायरी कमिशन का गठन किया।"
17.असम-मेघालय सीमा पर विवादित स्थल पर मंगलवार को हुई हिंसा पर अपना दुख व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यह घटना मेघालय सरकार की ''अयोग्यता'' को दर्शाती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे बनर्जी ने कहा, "सीएम @SangmaConrad कब तक @himantabiswa को मेघालय को हल्के में लेने देंगे? कब तक मेघालय के लोगों को डर और असुरक्षा में रहना चाहिए। यह अन्याय कब तक चलेगा।" मेघालय में कॉनराड संगमा सरकार पर कटाक्ष करते हुए माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर उन्होंने कहा, "आज की घटना एमडीए (मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस) सरकार की अक्षमता को उजागर करती है।"
18. इस बीचतृणमूल कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने जोवाई सिविल अस्पताल में मुकरोह गोलीकांड में जीवित बचे लोगों और मृतकों के परिजनों से मुलाकात की।
19. पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) ने असम-मेघालय सीमा पर हुई गोलीबारी की घटना की निंदा की है। NESO में शामिल हैं: खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU), ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU), नागा स्टूडेंट्स फेडरेशन (NSF), मिजो जिरलाई पावल (MZP), ट्विप्रा स्टूडेंट्स फेडरेशन (TSF), ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन ( AMSU), गारो स्टूडेंट्स यूनियन (GSU) और ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (AAPSU)।
20. मेघालय को असम से अलग कर 1972 में स्थापित किया और उसने असम पुनर्गठन कानून, 1971 को चुनौती दी थी, जिससे विवाद पैदा हुआ।
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