सार

विनोद सोनकर ने सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सारे प्रोटोकॉल्स का पालन किया गया, कुछ सदस्य मीटिंग में बाधा पहुंचाना चाहते थे।

 

Cash for Query: महुआ मोइत्रा के संसद से निष्कासन के लिए पार्लियामेंट एथिक्स कमेटी की सिफारिश में सदस्यों में विरोधाभास है। कमेटी के सदस्य बसपा सांसद दानिश अली ने समिति के अध्यक्ष विनोद सोनकर पर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मीटिंग में अध्यक्ष 15 मिनट की देरी से आए और 2.5 मिनट में ही मीटिंग को खत्म कर दिया। हालांकि, विनोद सोनकर ने सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सारे प्रोटोकॉल्स का पालन किया गया, कुछ सदस्य मीटिंग में बाधा पहुंचाना चाहते थे।

क्या कहा एथिक्स कमेटी के सदस्य ने मीटिंग के बारे में?

बसपा सांसद दानिश अली ने दावा किया कि 500 पन्नों की रिपोर्ट पर बहुत कम चर्चा हुई जिसमें सुनवाई के पहले दिन के विवरण का अभाव था। आज हमने (समिति में विपक्षी सांसदों ने) प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। हमने पहले दिन से ऐसे सवाल उठाए हैं। सभापति 15 मिनट देर से आए और 2.5 मिनट में बैठक खत्म हो गई। इतनी बड़ी रिपोर्ट लेकिन कोई चर्चा नहीं हुई। अली ने दावा किया कि समिति के प्रमुख सोनकर ने रिपोर्ट को त्वरित मतदान के लिए रखा और चले गए।

बीजेपी सांसद ने लगाया था आरोप

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लेटर लिखकर महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया था। मोइत्रा पर दुबे ने आरोप लगाया था कि वह संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली हैं। शिकायत सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के एक पत्र पर आधारित थी। लेटर में यह आरोप लगा था कि बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी ने संसद में प्रश्न पूछने की एवज में महुआ मोइत्रा को रिश्वत दी। यह सवाल अडानी ग्रुप को टारगेट करके पूछा गया था। स्पीकर ने मामले को एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया था। लोकसभा पैनल ने स्पीकर के निर्देश के बाद जांच शुरू करते हुए सबसे पहले निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्राई का बयान रिकॉर्ड किया। गुरुवार को कमेटी ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश कर दी। हालांकि, सदस्यों में इस सिफारिश को लेकर मतभेद है।

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