सार

पुलवामा हमले की आज दूसरी बरसी है। 14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। हमले के दो साल होने पर हमारे सहयोगी Asianetnewsable ने पूर्व डिप्टी आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य जनरल सुब्रत साहा से खास बात की। 

नई दिल्ली. पुलवामा हमले की आज दूसरी बरसी है। 14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। हमले के दो साल होने पर हमारे सहयोगी Asianetnewsable ने पूर्व डिप्टी आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य जनरल सुब्रत साहा से खास बात की। 

इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा हमले के बारे में, पाकिस्तान के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने, भारत के जवाब समेत तमाम मुद्दों पर बात की। 

सवाल: पुलवामा हमले के बारे में आपके निजी विचार क्या हैं?
भारत में पहले भी फिदायीन हमले होते रहे हैं। लेकिन इसका मैग्नीट्यूड बहुत ज्यादा था। आईएसआई और जैश भारत के स्थानीय युवाओं को इस हमले के लिए उकसाने में कामयाब हुए। यह दो बड़ी बातें हैं। 

सवाल: आप उस दावे पर क्या कहेंगे, जिनमें  कहा जाता है कि पुलवामा हमला सुरक्षा एजेंसियों की चूक की वजह से हुआ?
लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा: मैं ऐसा नहीं सोचता कि यह सच है। अगर आपको इस तरह की कोई सूचना मिलती है, तो इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि एक एजेंसी इसे दूसरे तक नहीं पहुंचाएगी। दूसरी बार ये है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों के बीच रिश्ते और बॉन्डिंग काफी मजबूत है। जम्मू कश्मीर में सारी सुरक्षा एजेंसियां एक बॉडी की तरह काम कर रही हैं। इसलिए इस हमले के लिए किसी एक एजेंसी पर इस तरह के आरोप लगाना पूरी तरह गलत है। 

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सवाल: पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने यह माना कि पुलवामा हमले में पाकिस्तान का हाथ था, आप इस बारे में क्या सोचते हैं?
लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा: अगर पाकिस्तान हमले में शामिल नहीं होतो, तो आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप पर की गई एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान भारत के सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए अपने लड़ाकू विमान क्यों उड़ाता। जब भारत ने एयरस्ट्राइक की। सिर्फ फवाद चौधरी ही नहीं, पाकिस्तान की ओर से बाद में भी आतंकियों के मारे जाने की बात स्वीकार की गई। पाकिस्तान में सेना और आईएसआई के डर से शुरुआत में यह खुलासे नहीं हुए, लेकिन जैसे जैसे डर कम होता चला गया, इस पर नए नए खुलासे होते रहे। इस बारे में तमाम नए बयान आने शुरू हो गए। यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ ने भी कई बातें स्वीकार कीं। 

सवाल: क्या भारतीय एयरफोर्स ने पुलवामा हमले के बाद उचित जवाब दिया?
लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा : यह उचित जवाब था या नहीं, इसका पता पाकिस्तान ने क्या स्वीकार किया, इससे पता चलता है। एयरस्ट्राइक के बाद अभी तक कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ, इससे यह साफ होता है कि यह सफल रहा। इसके अलावा इमरान के मंत्री ने यह स्वीकार किया कि इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ था। यहां तक की पाकिस्तान अभिनंदन के मामले में दो गुटों में बंट गया, इससे साफ होता है कि एयरस्ट्राइक का असर हुआ।

सवाल: पुलवामा हमले के बाद हमने क्या सीखा?
लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा: पुलवामा हमले के बाद इंटेलिजेंस बेहतर हुई है। यहां तक सर्विलांस में काफी सुधार हुआ। इसके अलावा काफिले में जाते समय सुरक्षाबल ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। ब्लास्ट प्रूफ वाहनों का इस्तेमाल होने लगा।