सार
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल ने कानून के अनुसार काम नहीं किया। 5 जजों की संविधान पीठ ने मामले को बड़ी बेंच में भेजने का फैसला किया है।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र (Maharashtra political crisis) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार कहा कि राज्यपाल ने कानून के अनुसार काम नहीं किया। CJI (Chief Justice of India) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने मामले को बड़ी बेंच में भेजने का फैसला किया है। अब 7 जजों की पीठ इस मामले में सुनवाई करेगी। शिंदे सीएम बने रहेंगे।
डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के वक्त राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कानून के अनुसार काम नहीं किया। पार्टी के अंदरूनी विवाद को सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता। राज्यपाल को इस संबंध में फैसला लेने से पहले सलाह लेनी चाहिए थी। विश्वास मत के लिए अंदरूनी कलह का आधार काफी नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को सिर्फ पार्टी व्हिप को मान्यता देनी चाहिए। पार्टी द्वारा नियुक्त व्हिप 10वीं अनुसूची के लिए अहम है। स्पीकर ने सही व्हिप जानने की कोशिश नहीं की। भरत गोगावले को चीफ व्हिप बनाने का फैसला गलत था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने खुद इस्तीफा दिया था। उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो राहत मिल सकती थी। विधायकों की अयोग्यता का फैसला स्पीकर लेंगे।
अगस्त 2022 में संविधान पीठ को भेजा गया था मामला
अगस्त 2022 में तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना की अगुआई वाली एक पीठ ने इस मामले में सुनवाई की थी। इस मामले में संविधान की व्याख्या की जरूरत थी। इसके चलते बेंच ने मामला संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के तहत पांच-जजों की पीठ को भेजा था।
दरअसल, शिंदे ने अपने समर्थक विधायकों को साथ लेकर बगावत कर दिया था। इसके चलते शिवसेना के दो हिस्से हो गए। उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। भाजपा ने शिंदे गुट को समर्थन दिया और सरकार बना ली। भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया। शिंदे गुट द्वारा सरकार गिराए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट गए थे।
सीएम शिंदे ने किया राज्यपाल का समर्थन
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शक्ति परीक्षण कराए जाने की आलोचना के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्यपाल ने उस वक्त की स्थिति के अनुसार निर्णय लिया था। वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि यदि फ्लोर टेस्ट हुआ और महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई तो क्या हुआ। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने सही निर्णय लिया था।
शिंदे को मिला समय
बड़ी बेंच को मामला सौंपे जाने से महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे को समय मिल गया है। अगर आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें और 15 अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाता तो शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ता। महाराष्ट्र संकट को लेकर दायर आठ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई की थी। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने उद्धव ठाकरे की ओर से पैरवी की। वहीं, हरीश साल्वे, नीरज कौल और महेश जेठमलानी ने एकनाथ शिंदे की पैरवी की।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सत्य की विजय हुई है। यह बात सही है कि उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दिया इसलिए उन्हें राहत नहीं मिली है। अब स्पीकर को विधायकों की अयोग्यता पर तुरंत फैसला लेना है। इससे न्याय होगा और सत्य की विजय होगी।