सार
शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है।सामना ने लिखा है कि अब बीजेपी को बहुमत मिलना मतलब भैंसे से दूध दुहने जैसा है। अजीत पवार के रूप में उन्होंने एक भैंसे को अपने बाड़े में लाकर बांध दिया है और भैंसे से दूध दुहने के लिए ऑपरेशन कमल योजना बनाई है।
मुंबई. महाराष्ट्र में सरकार गठन के बाद जहां सियासी संकट बढ़ता हुआ नजर आ रहा है, वहीं शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है। शिवसेना ने सामना के सहारे सत्ता पाने के लिए बीजेपी पर आचार और नीति को ताक पर रखने का आरोप लगाया है। दावा किया गया है कि सत्ता के लिए बीजेपी किसी भी स्तर पर जा सकती है, लेकिन विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा बीजेपी नहीं छू पाएगी।
भैंस दुहने में जुटी बीजेपी
सामना ने लिखा है कि अब बीजेपी को बहुमत मिलना मतलब भैंसे से दूध दुहने जैसा है। अजीत पवार के रूप में उन्होंने एक भैंसे को अपने बाड़े में लाकर बांध दिया है और भैंसे से दूध दुहने के लिए ऑपरेशन कमल योजना बनाई है। यही लोग सत्ता ही उद्देश्य नहीं है ऐसा प्रवचन झाड़ते हुए नैतिकता बघार रहे थे। अब तुम्हारे पास बहुमत है ये देखकर ही राज्यपाल ने शपथ दिलाई है, ऐसा तुम कह रहे हो न? तो फिर ऑपरेशन कमल जैसी उठाईगीरी क्यों? हम उन्हें इस उठाईगीरी और भैंसागीरी के लिए शुभकामनाएं देते हैं।
बीजेपी की हो रही थू-थू
सामना में लिखा है कि आज राज्य में हर तरफ बीजेपी की थू-थू हो रही है। भैंसे की गंदगी बीजेपी के स्वच्छ और पारदर्शक जैसे चेहरे पर उड़ने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेचैन हो गए होंगे। फडणवीस और उनके लोग इस भ्रम में थे कि अजीत पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़कर 25-30 विधायकों को लेकर बीजेपी के बाड़े में आ जाएंगे। महाराष्ट्र में जो कुछ हो रहा है उसे नाटक कहना रंगमंच का अपमान है।
अब काला दिवस मनाना बंद करे बीजेपी
सामना में कहा गया कि ऐसे समय में समविचारी न होने के बावजूद महाराष्ट्र के हितार्थ शिवसेना सहित कांग्रेस-राष्ट्रवादी पार्टियों के एक साथ आकर सरकार बनाने की प्रक्रिया के दौरान भाजपा के दिल की धड़कन बढ़ गई और उन्होंने रातों-रात अजीत पवार से हाथ मिलाकर शपथ ग्रहण समारोह कर लिया। यह सब खिलवाड़ तो है ही, साथ ही महान महाराष्ट्र की परंपरा पर कालिख पोतने जैसा भी है। इंदिरा गांधी द्वारा घोषित किए गए आपातकाल को काला दिवस के रूप में मनाने का ढोंग भाजपा अब न करे। सामना में लिखा गया कि 80 वर्षीय शरद पवार ने विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाई ही लेकिन शिवसेना के साथ कांग्रेस सहित सत्ता बनाने के लिए कदम उठाए। इस दौरान अजीत पवार नामक रोड़ा भाजपा ने फेंका। लेकिन उन्होंने उसे भी दूर कर दिया। इससे भाजपा का मुखौटा उतर गया। मतलब भाजपा के चेहरे पर इतने मुखौटे हैं कि एक मुखौटे के उतरते ही दूसरा मुखौटा वहां रहता ही है। इसलिए मुखौटे उतरते रहते हैं फिर भी असली चेहरा सामने नहीं आता। महाराष्ट्र की जनता इन सारे मुखौटों को उतार फेंकेगी।
अंधेरे में हो रहा अपराध
शिवसेना के सहारे सामना का कहना है कि बीजेपी के हाथ में सत्ता है, जांच एजेंसियां हैं, भरपूर काला पैसा है और इसके दम पर राजनीति में मनचाहा उन्माद लाने की कोई सोच रहा होगा तो ये शिवराय के महाराष्ट्र का अपमान है। वास्तव में महाराष्ट्र में फिलहाल जो राजनीतिक अस्थिरता है, वो भारतीय जनता पार्टी के कारण, उनकी व्यावसायिक वृत्ति के कारण और फंसाने की कला के कारण है। पहले उन्होंने शिवसेना जैसा मित्र खो दिया और अब वे शातिर चोर की तरह रात के अंधेरे में अपराध कर रहे हैं। सामना में लिखा गया है कि सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में राज्यपाल के समक्ष भाजपा के पास सरकार बनाने का मौका था। राज्यपाल उन्हीं की पार्टी और उन्हीं की नीति के होने के कारण भगतसिंह कोश्यारी ने भाजपा के नेताओं को निमंत्रित किया ही था। उन्होंने नकार दिया, शिवसेना को बुलाया गया। लेकिन सरकार बनाने के लिए 24 घंटे भी नहीं दिए गए। इसलिए पर्दे के पीछे जो तय किया गया था उसके अनुसार राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लाद दिया।
अजित पवार का भी कर देंगे पतन
सामना में कहा गया कि 25 वर्षों की दोस्ती को न निभानेवाले लोग अजीत पवार का भी पतन कर देंगे। भाजपा के साथ जाकर अजीत पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायकों को फंसाया है। भाजपा ने अजीत पवार को फंसाया और सबने मिलकर महाराष्ट्र को फंसाया। इस धोखाधड़ी में राजभवन का दुरुपयोग हुआ। ये पाप है, लेकिन पाप-पुण्य की बजाय जिनके लिए सत्ता महत्वपूर्ण है, ये उनका आखिरी दौर है। थोड़ी प्रतीक्षा कीजिए।