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महाशिवरात्रि पर ईशा योग केंद्र में आदियोगी के सामने रातभर भक्तिमय नृत्य-संगीत में डूबे रहे साधक
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महाशिवरात्रि समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ईशा योग केंद्र में महाशिवरात्रि समारोह भाषा, राष्ट्रीयता, धर्म और संस्कृति से परे है। यहां एक दुर्लभ एकीकृत दृश्य देखने को मिलता जो धर्म-जाति की सारी बेड़ियों को तोड़ता है। वर्तमान दुनिया के लिए यह एक बड़ी आवश्यकता है। यहां दी गई विधियां अद्वितीय हैं, जिनमें चार मार्ग हैं - भक्ति, क्रिया, कर्म और ज्ञान।
उपराष्ट्रपति ईशा के वार्षिक रात्रिकालीन सांस्कृतिक समारोह के सम्माननीय अतिथि थे। कार्यक्रम शुक्रवार (8 मार्च) को शाम 6 बजे शुरू हुआ और 9 मार्च को सुबह 6 बजे तक जारी रहेगा। उपराष्ट्रपति धनखड़ के साथ उनकी पत्नी डॉ. सुधेश धनखड़ भी मौजूद रहीं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप न केवल युवाओं को अभ्यास के लिए प्रेरित कर रहे हैं बल्कि उन्हें योग को दुनिया के हर कोने में ले जाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।
शिवरात्रि समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, त्रिपुरा के राज्यपाल इंद्रसेन रेड्डी, पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन आदि मौजूद रहे। सद्गुरु ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
उपराष्ट्रपति, उनकी पत्नी डॉ.सुधेश धनखड़ सहित अन्य अतिथि, ध्यानलिंग में सद्गुरु द्वारा आयोजित पंच भूत क्रिया (पांच तत्वों की सफाई) में शामिल हुए। इसके बाद सभी लोग महाशिवरात्रि स्थल-प्रतिष्ठित आदियोगी की प्रतिमा के पास पहुंचे। वाइस प्रेसिडेंट धनखड़ ने योगेश्वर लिंग को कैलाश तीर्थम अर्पित किया। यहां उन्होंने दुनिया भर में योग के प्रसार के प्रतीक के रूप में महायोग यज्ञ जलाकर रात भर चलने वाले उत्सव का उद्घाटन किया।
समारोह की शुरुआत लिंग भैरवी उत्सव मूर्ति जुलूस और महा आरती के साथ हुई। सद्गुरु ने कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। सद्गुरु ने कुछ गीतों के साथ ईशा में महाशिवरात्रि उत्सव की 30 साल की यात्रा के बारे में साझा किया। सद्गुरु ने कहा कि 1994 में हम 70 से कुछ अधिक लोग थे और केवल एक महिला थी जिसे हम चेन्नई पट्टी कहते थे। वह केवल दो गाने जानती थी। उसने रात भर वही दो गाने गाए। लेकिन हम इतने पागल थे कि शिव के चक्कर में पड़ गए। हमने नृत्य किया, हमने ध्यान किया और हमने पूरी रात सिर्फ दो गानों के साथ जश्न मनाया। लेकिन आज 30 साल बाद यह सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन बन चुका है।
शिव की महान रात्रि के बारे में बात करते हुए सद्गुरु ने बताया कि महाशिवरात्रि की रात में ऊर्जा का एक प्राकृतिक उभार होता है जिसका उपयोग करने का सौभाग्य केवल मनुष्य को मिलता है क्योंकि हमारी रीढ़ ऊर्ध्वाधर होती है। इस दिव्य अवसर पर सद्गुरु ने पांच मिलियन से अधिक रुद्राक्ष की मालाओं का भी अभिषेक किया। इन मालाओं को भक्तों और साधकों को मुफ्त में वितरित किया जाएगा।
ईशा के महाशिवरात्रि उत्सव के मुख्य स्थल, प्रतिष्ठित आदियोगी की सजावट में प्राचीन शहर वाराणसी और उसके राजसी घाटों को दर्शाया गया था। कार्यक्रम की शुरूआत ईशा के घरेलू बैंड साउंड्स ऑफ ईशा के आदियोगी गीतों के साथ हुई। बाद में ईशा संस्कृति की नृत्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा पद्मश्री शंकर महादेवन, रतिजीत भट्टाचार्जी, धारावी रैपर्स पैराडॉक्स तनिष्क सिंह और एमसी हेम, पंजाबी गुरुदास मान और तमिल, कन्नड़, मलयालम का प्रतिनिधित्व करने वाले महालिंगम मारीमुथु ने प्रस्तुतियां दी।
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