सार
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह (N Biren Singh) राज्यपाल से मिलने वाले थे। ऐसी खबरें आ रही थीं कि वह इस्तीफा दे सकते हैं।
इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल अनुसुइया से मिलने वाले थे। ऐसी खबरें आ रही थीं कि वह अपना इस्तीफा दे सकते हैं। मणिपुर करीब दो महीने से हिंसा की आग में जल रहा है। इसके लिए कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री के इस्तीफा की मांग की गई है। हालांकि, उनके इस्तीफा देने जाने की सूचना के बाद सैकड़ों लोग जिसमें सबसे अधिक महिलाएं शामिल थीं, उनके आवास के बाहर पहुंच प्रदर्शन कर इस्तीफा न देने की मांग करने लगी। शाम को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक ट्वीट कर जानकारी दी कि वह इस्तीफा देने नहीं जा रहे हैं।
इंफाल के न्यूजपेपर द संगाई एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीरेन सिंह आज राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने वाले थे। रिपोर्ट के अनुसार बीरेन को साफ किया था कि वे या तो इस्तीफा दें या केंद्र सरकार द्वारा हस्तक्षेप किया जाएगा। उधर, इस्तीफा की सूचना के बाद कि मुख्यमंत्री के सचिवालय और राज भवन के बाहर महिलाओं की भीड़ जुटी गई। महिलाएं मुख्यमंत्री से अपील कर रहीं थीं कि वे इस्तीफा नहीं दें। वे मुख्यमंत्री से उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहीं थीं।
राहुल गांधी ने की राज्यपाल से मुलाकात
दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राज्यपाल से मुलाकत की है। वह दो दिन की यात्रा पर मणिपुर आए हैं। शुक्रवार को मणिपुर में उनका दूसरा दिन है। राहुल गांधी ने राहत शिविरों में जाकर हिंसा प्रभावितों से मुलाकात की। राज्यपाल से मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर में शांति की जरूरत है। हिंसा से कुछ नहीं मिलने वाला है।
हिंसा में गुरुवार को हुई है तीन लोगों की मौत
मणिपुर में तीन मई से हिंसा हो रही है। यह पिछले कुछ दिनों में तेज हुई है। गुरुवार को उपद्रवियों ने सुरक्षाबलों पर गोली चलाई थी, जिसके जवाब में सुरक्षबलों द्वारा भी फायरिंग की गई। इस घटना में तीन लोगों की मौत हुई थी। कई सप्ताह से प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक दलों द्वारा मणिपुर में केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की जा रही है। कुकी समुदाय के लोगों का कहना है कि उनका मुख्यमंत्री पर विश्वास नहीं है। केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करे। जून में मणिपुर के नौ भाजपा विधायकों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य के लोगों ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से विश्वास खो दिया है।
3 मई को शुरू हुई थी हिंसा, मारे गए 100 से अधिक लोग
गौरतलब है कि मणिपुर जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। इसके चलते 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है। सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। वे राहत शिविरों में रहने को विवश हैं। हिंसा की आग कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच आरक्षण को लेकर फैली है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि 10 साल पुरानी सिफारिश लागू करे। इसमें मैतेई को जनजाति में शामिल करने की बात की गई थी। कुकी समाज के लोगों को यह मंजूर नहीं है। उनका कहना है कि इससे कुकी लोगों को नुकसान होगा। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला गया था। इसके बाद हिंसा भड़क गई।