सार

कुकी पीपुल्स एलायंस (KPA) ने मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। KPA के दो विधायक हैं। इससे मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह की सरकार पर खतरा नहीं है।

इंफाल। मणिपुर में जातीय हिंसा (Manipur violence) की आग थम नहीं रही है। इस बीच मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के लिए बुरी खबर सामने आई है। राज्य में एनडीए के सहयोगी दल कुकी पीपुल्स एलायंस (KPA) ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। केपीए के नेताओं ने 18 जुलाई को नई दिल्ली में एनडीए के सहयोगियों की बैठक में भाग लिया था।

केपीए अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर भाजपा से नाता तोड़ने के पार्टी के फैसले की जानकारी दी। पार्टी ने यह फैसला तीन मई से राज्य में हो रहे जातीय हिंसा के चलते लिया है। हिंसा शुरू हुए तीन महीने से अधिक समय हो गया है। इस दौरान करीब 170 लोग मारे गए हैं। हाओकिप ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि हम सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार जिस तरह काम कर रही है इसका समर्थन करने का कोई मतलब नहीं रह गया है।

एन बीरेन सिंह की सरकार पर नहीं है कोई खतरा

KPA के समर्थन वापस लेने से एन बीरेन सिंह की सरकार पर कोई खतरा नहीं है। KPA के पास सिर्फ दो विधायक हैं। सैकुल से किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग और सिंघाट से चिनलुनथांग को चुनाव में जीत मिली थी। मणिपुर विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या 60 है। राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। 32 विधायकों वाली बीजेपी के पास अकेले पूर्ण बहुमत है। इसे NPF के 5 विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। दूसरी ओर विपक्ष की बात करें तो NPP के पास सात, कांग्रेस के पास 5 और जदयू के पास छह विधायक हैं।

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बता दें कि मणिपुर में तीन मई से जातीय हिंसा हो रही है। मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच विवाद है। मैतेई अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, कुकी समुदाय इसके खिलाफ है। हिंसा में हजारों घरों को जला दिया गया है। हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।