सार

जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान शहीद हुए जवान दीपक सिंह ने अपनी आखिरी कॉल में अपनी माँ से झूठ बोला था कि वह आराम करने जा रहे हैं।

नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर के डोडा में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए 25 वर्षीय कैप्टन दीपक सिंह ने अपनी आखिरी फोन कॉल में अपनी मां से झूठ बोला था। उन्हें अंदाजा नहीं था कि यह उनकी मां से आखिरी बातचीत होगी। कैप्टन दीपक सिंह ने अपनी मां से कहा कि वह बेस पर जा रहे हैं और वहां कुछ देर आराम करेंगे। हकीकत में, वह 13 अगस्त को डोडा में हुए घातक आतंकवाद विरोधी अभियान में शामिल थे, जहाँ उन्होंने अपनी जान गंवा दी। दीपक सिंह के पिता, उत्तराखंड पुलिस के सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर महेश सिंह ने बताया, 'आमतौर पर, वह जम्मू-कश्मीर से वीडियो कॉल करता था। लेकिन, वह हमेशा अपनी मां से ऐसी चीजों के बारे में झूठ बोलता था।' उन्होंने कहा, 'उसने आखिरी बार कहा था, 'माँ, यहाँ सब ठीक है। शांति है। मैं आराम करने के लिए बेस पर जा रहा हूँ।'

महेश सिंह ने बताया कि कभी-कभी वह वीडियो कॉल पर अपनी वर्दी उतार देता था ताकि उसकी माँ को लगे कि वह आराम कर रहा है। उन्होंने कहा, 'लेकिन, मैं एक पुलिस अधिकारी था। मैं उसके जूते और पैंट देखता था। मुझे पता था कि वह ड्यूटी पर है।'

48 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन दीपक कुमार जम्मू और कश्मीर के डोडा जिले के अस्सर जंगल क्षेत्र में चार पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ एक भयंकर मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। 2020 में भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक होने के बाद सिग्नल रेजिमेंट में कमीशन किए गए कैप्टन दीपक दो साल से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के साथ तैनात थे। उन्होंने अपने माता-पिता से वादा किया था कि वह राष्ट्रीय राइफल्स में अपनी सेवा पूरी करने के बाद शादी करेंगे।

 

महेश सिंह ने भावुक होते हुए कहा, 'वह अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था। उसके शहीद होने की खबर आने से पहले घर में खुशी का माहौल था। मेरी बड़ी बेटी ने हमारे पोते को जन्म दिया था, हम सब बहुत खुश थे।' उन्होंने कहा, 'हम उसकी शादी की योजना बना रहे थे। लेकिन, राष्ट्रीय राइफल्स के साथ उसका कार्यकाल पूरा होने में अभी एक साल बाकी था। वह कहता था कि एक साल बाद शादी करेंगे। लेकिन, अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही वह शहीद हो गया।' महेश सिंह ने कहा, ‘मैं अपने बेटे की मौत पर एक भी आंसू नहीं बहाऊंगा क्योंकि भारतीय सेना में शामिल होना उसके बचपन का सपना था। लगता है उसकी उम्र ही इतनी थी।’