सार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोटर एक्सीडेंट क्लेम उस क्षेत्र के MACT के सामने दायर करने की जरूरत नहीं है जहां हादसा हुआ हो। हादसे का शिकार हुआ व्यक्ति अपने घर या काम करने की जगह वाले इलाके के MACT के सामने आवेदन कर सकता है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि दावेदारों के लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के तहत मुआवजे के लिए उस क्षेत्र पर एमएसीटी के समक्ष आवेदन दायर करना अनिवार्य नहीं है जहां दुर्घटना हुई थी। हादसे का शिकार हुआ व्यक्ति उस इलाके के एमएसीटी के सामने आवेदन कर सकता है जहां वह रहता है या कारोबार करता है। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने एक स्थानांतरण याचिका पर फैसला करते हुए यह आदेश दिया।
कोर्ट ने यह आदेश उस मामले में सुनाया जिसमें हादसा पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी में हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद के फर्रुखाबाद का रहने वाला है। उसे अपने क्लेम के लिए दार्जिलिंग के एमएसीटी में आवेदन करने के लिए कहा गया था। इसके बदले उन्होंने फर्रुखाबाद एमएसीटी में आवेदन करने का विकल्प चुना था।
दावेदार के पास है अपने क्षेत्र का MACT चुनने का विकल्प
इसके खिलाफ MACT (Motor Accidents Claims Tribunal) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश दिया कि कानून दावेदार को यह चुनने का विकल्प देता है कि उसे किस क्षेत्र के एमएसीटी के सामने आवेदन करना है। याचिकाकर्ता द्वारा कोई शिकायत नहीं उठाई जा सकती है। विवाद गलत है। इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सभी गवाह सिलीगुड़ी से हैं इसलिए भाषा बाधा बन सकती है। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा, "भारत विविधतापूर्ण देश है। यहां लोग अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं। वहां कम से कम 22 आधिकारिक भाषाएं हैं। हिंदी राष्ट्रीय भाषा है। एमएसीटी द्वारा उत्तर प्रदेश के फतेहगढ़ के एमएसीटी के सामने जिन गवाहों को पेश किया जाएगा उनसे अपेक्षा है कि हिंदी में बयान देंगे। यदि याचिकाकर्ता के तर्क को स्वीकार किया जाता है तो दावेदार गंभीर रूप से पूर्वाग्रहग्रस्त होंगे। वे बांग्ला में अपनी बात बताने में सक्षम नहीं होंगे।