सार
अब हर थाने में एक अलग यूनिट बनेगा। यह यूनिट एक्सीडेंट के मामलों को इन्वेस्टीगेट और क्लेम संबंधी सभी केसों को तीन महीने में ट्रिब्यूनल को सौंपेगा।
Motor accidental claim: मोटर दुर्घटना क्लेम केस में जल्द से जल्द निस्तारण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा आदेश जारी किया है। मोटर एक्सीडेंट क्लेम केस के लिए अब हर थाने में एक अलग यूनिट बनेगा। यह यूनिट एक्सीडेंट के मामलों को इन्वेस्टीगेट और क्लेम संबंधी सभी केसों को तीन महीने में ट्रिब्यूनल को सौंपेगा।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार देश के सभी राज्यों को अपने थानों में मोटर एक्सीडेंट्स क्लेम की जांच के लिए एक अलग यूनिट बनाना होगा।
- तीन महीने के भीतर पुलिस की स्पेशल यूनिट को जांच रिपोर्ट क्लेम ट्रिब्यूनल को सौंपना होगा।
- किसी भी व्हिकल के एक्सीडेंट की जानकारी होने के बाद संबंधित थानेदार उस एक्सीडेंट का एफआईआर दर्ज करेगा। वह धारा 159 के तहत एफआईआर दर्ज करेगा। एक्सीडेंटल क्लेम संबंधित रिपोर्ट को तीन महीने के भीतर क्लेम ट्रिब्यूनल को सौंप देगा।
- थानों में स्पेशल यूनिट बनाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसए नाजिर और जस्टिस जेके महेश्वरी की बेंच ने दी है।
- बेंच ने आदेश दिया कि किसी भी व्हिकल एक्सीडेंट के बाद जांच अधिकारी, मोटर वाहन संशोधन नियम 2022 के डायरेक्शन्स के अनुसार काम करेगा। वह दुर्घटना के 48 घंटे के भीतर एक्सीडेंट की फर्स्ट रिपोर्ट क्लेम ट्रिब्यूनल को देगा।
- जांच अधिकारी सबसे पहले गाड़ी का रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी की फिटनेस, परमिट और अन्य संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रिपोर्ट क्लेम ट्रिब्यूनल को पेश करेगा। इसके बाद मोटर व्हिकल एक्ट के नियमों के अनुरूप जांच को एक फ्लो में आगे बढ़ाएगा।
- बेंच ने आदेश दिया है कि आईओ अपनी जांच संबंधी सारी डिटेल्स को पीड़ित पक्ष या उनके कानूनी प्रतिनिधि, ड्राइवर, मालिक और बीमा कंपनियों के अलावा सभी स्टेक होल्डर्स से साझा करेगा।
- IO को जांच के दौरान हर स्टेज पर जो भी रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को देगा उसे अपने अधिकारियों से भी साझा करेगा साथ ही उसे पीड़ित पक्ष से लगायत सभी संबंधितों को भी साझा करेगा।
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