- Home
- National News
- 9 Years Of Modi Govt: राफेल से लेकर S 400 तक, मोदी सरकार के 9 साल में हुए ये 9 खास डिफेंस डील, बढ़ी भारत की ताकत
9 Years Of Modi Govt: राफेल से लेकर S 400 तक, मोदी सरकार के 9 साल में हुए ये 9 खास डिफेंस डील, बढ़ी भारत की ताकत
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बने 9 साल हो गए। इन 9 सालों में नरेंद्र मोदी की सरकार ने फाइटर प्लेन राफेल से लेकर एयर डिफेंस सिस्टम एस 400 की खरीद तक कई ऐसे बड़े डिफेंस डील किए हैं, जिससे भारत की सैन्य क्षमता बढ़ी है। आइए डालते हैं 9 खास डील पर नजर…
| Published : May 26 2023, 06:10 AM IST / Updated: May 26 2023, 08:50 AM IST
- FB
- TW
- Linkdin
लड़ाकू विमान राफेल
सितंबर 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस सरकार से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए डील किया था। ये विमान Dassault नाम की फ्रेंच कंपनी बनाती है। दो इंजन वाले 36 राफेल के लिए 58 हजार करोड़ रुपए का सौदा किया था। सुखोई एमकेआई 30 की खरीद के बाद वायु सेना के लिए लड़ाकू विमान नहीं लिए गए थे। लड़ाकू विमानों की संख्या तेजी से घट रही है। इसे देखते हुए सरकार ने यह सौदा किया था। पड़ोसी चीन और पाकिस्तान के पास राफेल की टक्कर का कोई फाइटर जेट नहीं है।
एयर डिफेंस सिस्टम एस 400
चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से होने वाले खतरे को देखते हुए मोदी सरकार ने 2018 में रूस से एयर डिफेंस सिस्टम एस 400 खरीदने का फैसला किया था। इसे दुनिया का सबसे बेहतर एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। इसकी मदद से 600 किलोमीटर दूर तक आसमान में नजर रखी जा सकती है और 400 किलोमीटर दूर तक हमला किया जा सकता है। लड़ाकू विमान हो या मिसाइल या हेलिकॉप्टर यह हर तरह के हवाई खतरे को नष्ट करने की क्षमता रखता है। एस 400 की पांच यूनिट्स खरीदने के लिए 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर में सौदा हुआ था।
लड़ाकू विमान तेजस
रक्षा मंत्रालय ने तीन फरवरी 2021 को हल्के वजन और छोटे आकार वाले लड़ाकू विमान तेजस Mk-1A की खरीद के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से सौदा किया था। 83 लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए 48 हजार करोड़ रुपए में सौदा किया गया था। तेजस एक इंजन वाला फाइटर जेट है। इसे हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है।
अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर
मोदी सरकार ने जुलाई 2018 में अमेरिकी सरकार और बोइंग कंपनी से 22 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए तीन बिलियन डॉलर में सौदा किया था। अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर है इसका इस्तेमाल हवाई हमला करने में होता है। इसे दुनिया के सबसे बेहतरीन अटैक हेलीकॉप्टरों में गिना जाता है। दूसरी ओर चिनूक ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर है। इसका इस्तेमाल सैनिकों और हथियारों को जंग के मैदान में ले जाने में होता है। ऊंचे पहाड़ी इलाकों में इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल गेम चेंजर साबित होता है।
C 295 विमान
वायुसेना के लिए लड़ाकू विमानों के साथ ही सहायक ट्रांसपोर्ट विमान भी काफी अहम होते हैं। इसमें अवाक्स, टैंकर और ट्रांसपोर्ट विमान आते हैं। अवाक्स सिस्टम वाले विमान से दुश्मन के लड़ाकू विमानों का पता लगाया जाता है। टैंकर विमान का काम हवा में उड़ते हुए लड़ाकू विमानों में इंधन भरना होता है। वहीं, ट्रांसपोर्ट विमान का काम सैनिकों और साजो सामान को ढ़ोना है। इस सभी कामों के लिए भारत सरकार ने सितंबर 2021 में एयरबस से 56 विमान खरीदने का सौदा किया था। 16 विमान तैयार हालत में मिलेंगे। वहीं, 40 को भारत में बनाया जाएगा।
AK-203 असॉल्ट राइफल
भारत सरकार ने रूस के साथ AK-203 राइफल की खरीद के लिए 2021 में सौदा किया था। इसके तहत छह लाख से अधिक राइफल का निर्माण Indo-Russia Rifles Pvt Ltd द्वारा किया जाना है। क्लाशनिकोव सीरिज की इस अत्याधुनिक राइफल को भारतीय सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे इंसास राइफल से रिप्लेस किया जाएगा।
M777 अल्ट्रा लाइटवेट हॉवित्जर
मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में 145 अल्ट्रा लाइटवेट हॉवित्जर तोप खरीदने के लिए अमेरिका से 735 मिलियन डॉलर में सौदा किया था। बोफोर्स घोटाले के चलते तीस साल से भारतीय सेना को नए तोप नहीं मिले थे। हल्के वजन के चलते इसे हेलिकॉप्टर की मदद से लड़ाई के मैदान तक पहुंचाना आसान है। यह चीन और पाकिस्तान की सीमा से लगे ऊंचे पहाड़ी इलाकों में बहुत काम आता है।
MH-60R हेलीकॉप्टर
भारत ने 2020 में नौसेना के लिए 24 MH-60R हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए 2.4 बिलियन डॉलर का सौदा किया था। इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल मुख्य रूप से पानी में छिपी पनडुब्बियों को खोजने और उन्हें नष्ट करने में होता है। यह मल्टिरोल हेलिकॉप्टर है। इसका इस्तेमाल दूसरे युद्धपोत पर हमला करने। जमीन पर बमबारी करने और सामान ढोने में भी हो सकता है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का मंत्र दिया है। इसके तहत टैंक से लेकर युद्धपोत तक कई हथियारों को भारत में बनाने और सिर्फ भारत में बने हथियार खरीदने का फैसला हुआ है। 31 मार्च को भारत सरकार ने विभिन्न भारतीय कंपनियों से हथियार खरीदने के लिए 36400 करोड़ रुपए का सौदा किया था। इसमें भारत डायनामिक्स लिमिटेड के साथ आकाश एयर डिफेंस सिस्टम के दो रेजिमेंट की सप्लाई शामिल हैं।