सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी आत्मस्थानंद की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आत्मस्थानंद गरीबों की सेवा और ज्ञान प्रचार को पूजा समझते थे।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन्म शताब्दी के अवसर पर स्वामी आत्मस्थानंद को याद किया। उन्होंने जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि स्वामी आत्मस्थानंद ने अपना जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया था।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज स्वामी आत्मस्थानंद की जन्म शताब्दी के कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। यह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भी कई भावनाओं और स्मृतियों से भरा हुआ है। मुझे सदैव उनका आशीर्वाद मिला। आखरी पल तक उनसे मेरा संपर्क बना रहा। एक बालक पर जैसे स्नेह बरसाया जाता है, वह वैसे ही मुझपर स्नेह बरसाते थे।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत का उद्घोष करती रही है संत परंपरा
नरेंद्र मोदी ने कहा कि सैकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद, हमारी संत परंपरा हमेशा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का उद्घोष करती रही है। रामकृष्ण मिशन की स्थापना ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार से जुड़ी हुई है। आप देश के किसी भी हिस्से में जाइए, आपको ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र मिलेगा जहां विवेकानंद गए न हों या उनका प्रभाव न हो।
उनकी यात्राओं ने गुलामी के उस दौर में देश को उसकी पुरातन राष्ट्रीय चेतना का अहसास करवाया, उसमें नया आत्मविश्वास फूंका। हमारे संतों ने हमें दिखाया है कि जब हमारे विचारों में व्यापकता होती है तो अपने प्रयासों में हम कभी अकेले नहीं पड़ते। आप भारत वर्ष की धरती पर ऐसे कितने ही संतों की जीवन यात्रा देखेंगे, जिन्होंने शून्य संसाधनों के साथ शिखर जैसे संकल्पों को पूरा किया।
स्वामी जी ने संन्यास के स्वरूप को चरितार्थ किया
नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि उनके मिशन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। हमारे देश में संन्यास की महान परंपरा रही है। इसके कई रूप रहे हैं। स्वामी आत्मस्थानंद ने संन्यास के स्वरूप को चरितार्थ किया। उनके निर्देशन में बेलूर मठ और श्री रामकृष्ण मिशन ने भारत ही नहीं बल्कि नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में भी राहत और बचाव के अद्भुत अभियान चलाए।
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पीएम ने कहा कि आत्मस्थानंद ने निरंतर ग्रामीण क्षेत्रों में जन कल्याण के लिए काम किया। इसके लिए संस्थान तैयार किए। आज ये संस्थान गरीबों की मदद कर रहे हैं। उन्हें रोजगार के साधन मुहैया करा रहे हैं। स्वामी आत्मस्थानंद गरीबों की सेवा और ज्ञान प्रचार को पूजा समझते थे। इसके लिए मिशन मोड में काम करते थे।
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