सार

दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का केस किया था। मामला 2006 का है।

Medha Patekar convicted in defamation case: नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के केस में दोषी ठहराया है। दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का केस किया था। मामला 2006 का है। अहमदाबाद बेस्ड एक एनजीओ का प्रमुख रहते हुए वीके सक्सेना ने मेधा पाटकर पर टीवी पर अपने खिलाफ अपमानजनक कमेंट करने और अखबारों में अपमानजनक स्टेटमेंट जारी करने का आरोप लगाते हुए मानहानि का केस दायर किया था।

2.4 दशक पुराना है वीके सक्सेना और मेधा पाटकर के बीच तनाव

दरअसल, दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के बीच की लड़ाई करीब ढाई दशक पुराना है। यह कानूनी लड़ाई 24 साल से अधिक समय से दोनों के बीच चल रही है। वीके सक्सेना, गुजरात के अहमदाबाद के एक एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। उस समय मेधा पाटकर ने आरोप लगाया था कि नर्मदा बचाओ आंदोलन और उनके खिलाफ एनजीओ ने विज्ञापन प्रकाशित कराया था। इस मामले में मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था। इसके जवाब में वीके सक्सेना ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर पर दो एफआईआर दर्ज कराया था। 2006 में वीके सक्सेना ने मेधा पाटकर पर एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में अपने खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का केस दर्ज कराया था। साथ ही एक केस, अपमानजनक प्रेस बयान जारी के लिए कराया था।

18 साल बाद आया फैसला

वीके सक्सेना द्वारा नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का दावा किए जाने के मामले में दिल्ली की एक अदालत में सुनवाई चल रही थी। 2006 में दायर केस की सुनवाई अब पूरी हो चुकी है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने इस मामले में मेधा पाटकर को दोषी करार दिया। दोषी ठहराए जाने के बाद मेधा पाटकर को दोसाल की जेल या जुर्माना की सजा या दोनों सजा मिल सकती है।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने कहा कि प्रतिष्ठा किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे मूल्यवान संपत्तियों में से एक है क्योंकि यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों दोनों को प्रभावित करती है। समाज में किसी व्यक्ति की स्थिति पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।

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