सार

प्रदर्शनी घरे बैरे के सफल प्रदर्शन के बाद भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय, राष्ट्रीय आधुनिक कलादीर्घा तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(Archaeological Survey of India) 25 मार्च, 2022 को कोलकाता में ओल्ड करेंसी बिल्डिंग में अल्पोना नामक एक प्रदर्शनी आयोजित करेगा। इसमें प्रसिद्ध कलाकार एवं मूर्तिकार रामकिंकर बैज(Ramkinkar Baij) की कलाकृतियां दिखाई जाएंगी।

कोलकाता. 25 मार्च को कोलकाता में ओल्ड करेंसी बिल्डिंग में अल्पोना नामक एक प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इसमें प्रसिद्ध कलाकार एवं मूर्तिकार रामकिंकर बैज(Ramkinkar Baij) की कलाकृतियां दिखाई जाएंगी। पहली प्रदर्शनी घरे बैरे के सफल प्रदर्शन के बाद भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय, राष्ट्रीय आधुनिक कलादीर्घा तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(Archaeological Survey of India) अल्पोना आयोजित कर रहा है।

जानिए क्या होगा प्रदर्शन में
राष्ट्रीय आधुनिक कलादीर्घा (एनजीएमए) ने प्रसिद्ध कलाकार तथा असाधारण शिल्पकार रामकिंकर बैज की कलाकृतियों का जश्न मनाते हुए एक प्रदर्शनी लगाने का प्रस्ताव किया है। प्रदर्शनी का मूल विषय ग्रामीण बंगाल के दैनिक जीवन पर आधारित है, जैसे दिनभर के कठिन कार्य के बाद घर लौटते हुए किसान अथवा घर की ओर लौटते हुए मवेशियों के कारण उड़ती हुई धूल अथवा आपस में हल्की-फुल्की बातचीत करते हुए आराम की मुद्रा में कारखाने के कर्मचारी अथवा प्लास्टर में मूर्तिमान यक्ष एवं यक्षी जैसे ग्राम के संरक्षक देवी-देवता। प्रदर्शनी में मूर्तियां, कैनवस पर उकेरे गए रेखाचित्र,  वाटरकलर और बड़े तैलचित्र शामिल होंगे।

यह भी जानें
मुख्य विषय की पुष्टि के लिए प्रमुख कलाकारों और शिल्पकारों की कला-कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा, जो एनजीएमए के मुख्य संग्रह का हिस्सा हैं। राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा अपने प्रतिष्ठित संग्रह से इस प्रदर्शनी को इन-हाउस बनाएगी। संग्रहित प्रदर्शनी में बंगाल के कलाकारों की कलाकृतियों को भी दिखाया जाएगा, जो पटुआ तथा कालीघाट की छवियों की अपनी स्वदेशी जड़ों से शुरू होकर बंगाल स्कूल की शांत वॉश शैलियों एवं शांतिनिकेतन की अंतिम खोज तक है। इसमें बंगाल की स्वदेशी कला को प्रस्तुत करने वाले स्थल-विशिष्ट के प्रतिष्ठान भी शामिल होंगे।

रामकिंकर बैज के बारे में
रामकिंकर बैज (20 मई 1910- 2 अगस्त 1980) भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार थे। आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के पुरोधाओं में उनका नाम लिया जाता है। बैज का जन्म पश्चिम बंगाल के बांकुरा में एक आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े परिवार में हुआ था। लेकिन वे अपने दृढ़ इच्छा शक्ति और कला के बूते देश का एक जान-पहचाना नाम बने।वर्ष 1970 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। बैज ने 427cm की (संथाल परिवार) नामक शिल्प का निर्माण किया था। बैज ने सुजाता, कन्या तथा कुत्ता, अनाज की ओसाई आदि विशेष प्रसिद्ध चित्र तथा मूर्तियां बनाईं।

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