सार
निर्भया केस के दोषियों को एक फरवरी को फांसी होनी है। इससे पहले परिवार के लोग दोषियों से मुलाकात करने जेल पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को दोषी विनय और मुकेश के माता-पिता मुलाकात करने पहुंचे। माता-पिता के साथ मुकेश का भाई भी था।
नई दिल्ली. निर्भया केस के दोषियों को एक फरवरी को फांसी होनी है। इससे पहले परिवार के लोग दोषियों से मुलाकात करने जेल पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को दोषी विनय और मुकेश के माता-पिता मुलाकात करने पहुंचे। माता-पिता के साथ मुकेश का भाई भी था। अलग-अलग समय पर दोनों दोषियों को उनके परिजनों से मुलाकात कराई गई। निर्भया के चारों दोषियों में से मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है। लेकिन अभी तीन दोषी (पवन, अक्षय और विनय ) के पास दया याचिका का विकल्प बचा हुआ है। ऐसे में अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज भी कर देते हैं तो दोषियों को 14 दिन का वक्त देना होगा। ऐसे में कम ही संभावना है कि दोषियों को एक फरवरी को फांसी हो।
मां को देख फफक-फफक कर रोने लगा मुकेश
मुकेश ने अपने माता-पिता से आधे घंटे तक मुलाकात की। मां को देख मुकेश रोने लगा। मां ने उसे चुप कराया। जेल प्रशासन का कहना है कि अभी दोषियों को उनके परिवार के लोगों से मिलने पर कोई पाबंदी नहीं है। मुलाकात के दौरान जेल के अधिकारी भी वहां मौजूद रहते हैं। बता दें कि मुकेश वही दोषी है, जिसने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर निर्भया चुपचाप सबकुछ होने देती है हम उसे नहीं मारते।
जेल प्रशासन ने लिखा था पत्र
दोषियों को फांसी से पहले जेल प्रशासन ने सभी के परिवार के लोगों को पत्र लिखा और आखिरी बार मुलाकात के लिए बुलाया गया। हालांकि शुक्रवार से पहले किसी भी दोषी के परिजन ने मुलाकात के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी।
वसीयत लिखने के लिए पूछा
जेल प्रशासन ने चारों दोषियों से पूछा था कि अगर वह अपनी कोई वसीयत किसी के नाम करना चाहते हैं तो बता दें। लेकिन किसी भी दोषी ने इस बारे में कुछ नहीं कहा।
फांसी को उम्र कैद में बदलने की मांग
तीन दोषियों के वकील एपी सिंह ने निर्भया के दोषियों अक्षय और पवन का जेल में जाकर सिग्नेचर करवाया, जिसके जरिए सुप्रीम कोर्ट में सुधारात्मक याचिका दाखिल कर सके। इसके जरिए मांग की जाएगी कि दोषियों की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल सके।
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।