सार
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। उन्हें जमानत नहीं मिली है। सिसोदिया ने पत्नी की बीमारी का हवाला देकर जमानत की गुहार लगाई थी।
नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को अभी तिहाड़ जेल में ही रहना होगा। उन्हों सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सिसोदिया ने पत्नी की बीमारी का हवाला देकर जमानत की गुहार लगाई थी।
सिसोदिया दिल्ली आबकारी पॉलिसी मामले में आरोपी हैं। वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई 4 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। सिसौदिया ने पत्नी की बीमारी का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने सिसौदिया की पत्नी के मेडिकल रिकॉर्ड की समीक्षा की और निष्कर्ष निकाला कि वह काफी हद तक स्थिर हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को सीबीआई और ईडी को निर्देश दिया था कि वे सिसोदिया द्वारा दायर अंतरिम जमानत याचिकाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दें। गुरुवार को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि सिसौदिया को जमानत नहीं दी जाए। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि सिसोदिया दिल्ली शराब घोटाले के किंगपिन हैं।
सीबीआई ने सिसोदिया को 2 फरवरी को किया था गिरफ्तार
सीबीआई ने सिसोदिया को 2 फरवरी को दिल्ली आबकारी मामले में गिरफ्तार किया था। इस मामले में हुई मनी लॉन्ड्रिंग की जांच ईडी द्वारा की जा रही है। सिसोदिया दो फरवरी से हिरासत में हैं। गिरफ्तार किए जाने के समय सिसोदिया दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आबकारी विभाग के मंत्री थे।
सीबीआई का आरोप है कि शराब कंपनियों ने दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति को इस तरह से तैयार करने में भूमिका निभाई, जिससे उन्हें 12% का लाभ मिलता। एजेंसी का दावा है कि एक शराब लॉबी जिसे वह "साउथ ग्रुप" कहती है ने इसके लिए रिश्वत दी। सीबीआई का आरोप है कि 12% लाभ का 6% बिचौलियों के माध्यम से रिश्वत के रूप में लिया गया।