सार
ये हैं ओडिशा के नुआपाड़ा कस्बे के रहने वाले आदिवासी कपल भुजबल मांझी और उनकी पत्नी कुंजाबाई। इन्हें इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पारंपरिक आदिवासी भोजन परोसने के लिए नई दिल्ली आमंत्रित किया गया है।
नुआपड़ा( Nuapada). इस कपल से मिलिए! ये हैं ओडिशा के नुआपाड़ा कस्बे के रहने वाले आदिवासी कपल भुजबल मांझी और उनकी पत्नी कुंजाबाई। इस आदिवासी दंपति के उत्साह का इस समय कोई ठिकाना नहीं है। वजह, इन्हें इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पारंपरिक आदिवासी भोजन परोसने के लिए नई दिल्ली आमंत्रित किया गया है। यानी उस दिन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इन्हीं का बना परंपरागत आदिवासी भोजन करेंगे। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
संयोग से इस बार राष्ट्रपति मुर्मु भी आदिवासी हैं और ओडिशा से ताल्लुक रखती हैं
हर साल ओडिशा के एक आदिवासी कपल को गणतंत्र दिवस परेड में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा है। यह गजब संयोग है कि इस वर्ष अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सुनबेदा अभयारण्य के चकोटिया भुंजिया जनजाति से संबंधित भूजबल मांझी और उनकी पत्नी कुंजाबाई मांझी का साथ दिया है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु भी ओडिशा से ताल्लुक रखती हैं। वो आदिवासी संथाल परिवार से आती हैं। क्लिक करके पढ़ें पूरी डिटेल्स...
हवाई जहाज में भी नंगे पांव रहेंगे कपल
अपनी परंपरा के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी की यात्रा के दौरान कपल नंगे पांव ही रहेगा। यानी पारंपरिक आदिवासी पोशाक पहनकर बिना जूते-चप्पल ये फ्लाइट से दिल्ली जाएगा। कपल ने खुशी जाहिर की-“हमने दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम के बारे में सुना है। लेकिन हम नहीं जानते थे कि हमें दिल्ली में एक दिन बुलाया जाएगा और देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसी बड़ी हस्तियों से मुलाकात कराई जाएगी। हम अपनी खुशी व्यक्त नहीं कर सकते।”
जानकारी के अनुसार, चकोटिया भुंजिया दंपति वार्षिक गणतंत्र दिवस प्रथा के अनुसार पीएम और राष्ट्रपति को मीठे आलू और बाजरा और अन्य मकई से बने आदिवासी भोजन परोसेंगे। कपल 21 जनवरी को सुनाबेड़ा से अपनी दिल्ली यात्रा शुरू करेंगे। उनके साथ चकोटिया भुंजिया विकास एजेंसी के विशेष अधिकारी हंसु महापात्र भी होंगे। सूत्रों ने कहा कि इस दौरान कुछ आदिवासी रीति-रिवाजों का पालन किया जाएगा और 2 फरवरी को दिल्ली से लौटने के बाद एक सामुदायिक दावत का आयोजन किया जाएगा।
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