सार

लोकसभा में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' बिल पेश, संसद और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव। क्या होगा इसका देश पर असर?

One Nation One Election: बीजेपी सरकार ने मंगलवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लिए लोकसभा में दो बिलों को पेश किया। हालांकि, वोटिंग के दौरान पक्ष में 269 सांसदों ने वोट किया तो विपक्ष में 198 सांसदों ने वोट किया।

बिल पेश करते हुए कानून मंत्री ने गिनाई वजहें...

मंगलवार को देश के कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने दोनों बिलों को पेश किया। इस बिल को देश के सभी चुनाव एक साथ कराए जाने के लिए पेश किया गया। कानून मंत्री ने बताया कि आजादी के बाद देश के पहले चार चुनाव एक साथ कराए गए थे। लेकिन बाद के वर्षों में कुछ विधानसभाओं के विघटन की वजह से लोकसभा-विधानसभा चुनावों को एक साथ कराए जाने का चक्र भंग हो गया। भारत के विधि आयोग ने इलेक्शन प्रॉसेस में सुधार के लिए अपनी 170वीं रिपोर्ट में एक साथ सारे चुनाव कराने का सुझाव दिया था। कानून मंत्री ने सदन में पेश किए गए बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि देश में विभिन्न कारणों से चुनाव काफी महंगे और लंबा समय खर्च करने वाले होते जा रहे हैं इसलिए एक देश-एक चुनाव का पालन करना अत्यावश्यक हो चुका है। आए दिन आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में आए दिन बाधा पहुंच रही है। सामान्य जनजीवन में व्यवधान हो रहा है। इलेक्शन ड्यूटी की वजह से देश का मैनपॉवर इधर-उधर लगाना पड़ता है।

रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का हुआ था गठन

देश में सारे चुनाव एक साथ कराने के लिए 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक हाईलेवल कमेटी का गठन किया गया। भारत सरकार की इस कमेटी का उद्देश्य एक देश-एक चुनाव कराने संबंधी विचार पर अपनी रिपोर्ट देना था। 14 मार्च 2024 को कमेटी ने राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एक साथ चुनाव का प्रस्ताव सरकारी खजाने को राष्ट्रीय आय का 1.5% बचाने में मदद कर सकता है। मार्च 2024 को समाप्त होने वाले वर्ष के वित्तीय आंकड़ों के आधार पर, यह 4.5 लाख करोड़ रुपये (लगभग 52 बिलियन डॉलर) की बचत होगी।

विधेयक में क्या-क्या सिफारिश?

लोकसभा में पेश किए गए संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक 2024 में लोक सभा और सभी विधान सभाओं के निर्वाचन एक साथ कराया जा सकता है। विधेयक एक नए अनुच्छेद 82क (लोक सभा और सभी विधान सभाओं के एक साथ निर्वाचन) को स्थापित करने तथा अनुच्छेद 83 (संसद् के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172 (राज्यों के विधान मंडलों की अवधि) तथा अनुच्छेद 327 (विधान मंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की संसद् की शक्ति) का संशोधन करने का प्रस्ताव करता है।

इसके अनुसार, हर पांच साल पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। अगर कोई सरकार अवधि के पहले ही विघटित होती है तो उसका गठन शेष अवधि के लिए ही होगा। प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, पहले चरण में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे तो दूसरे चरण में नगर पालिकाओं, पंचायतों को एक साथ कराए जाएंगे। पहले चरण का चुनाव बीतने के 100 दिनों के अंदर पंचायत व निकाय चुनाव पूरे कर लिए जाएंगे। इस संशोधन के बाद पूरे देश में एक ही वोटर लिस्ट प्रभावी होगी।

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