सार
विधि आयोग ने 2018 में सुझाव दिया था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराया जाना चाहिए। इससे सरकारी पैसे की बजत होगी। इसके साथ ही प्रशासन का ध्यान चुनाव से हटकर विकास पर केंद्रित होगा।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक देश, एक चुनाव (One Nation, One Election) को लेकर बड़ी पहल करते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया है। देश में एक बार में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराने की बात पहले से कही जा रही थी। लॉ कमीशन ने 2018 में अपनी रिपोर्ट में इसकी वकालत की थी।
लॉ कमीशन के सुझाव
- लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराया जाना चाहिए। इससे देश लगातार चुनाव मोड में रहने से बचेगा। इससे सरकारी पैसे की बचत होगी और प्रशासनिक व्यवस्था व सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा।
- एक साथ चुनाव होने से सरकारी नीतियों का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा। राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार के बजाय विकास पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगी।
- संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं है। इसके लिए संविधान संसोधन की जरूरत होगी।
- चुनाव के बाद बनी नई सरकार को मुख्य चुनाव तक ही काम करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना होगा कि एक साथ चुनावों का कार्यक्रम बाधित न हो। सभी राज्यों के विधानसभा और लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव हों।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रावधानों में संशोधन करना होगा, ताकि एक कैलेंडर में पड़ने वाले सभी उपचुनाव एक साथ कराए जा सकें।
एक देश, एक चुनाव के सामने ये हैं चुनौतियां
- एक देश, एक चुनाव लागू करने के लिए संविधान बड़े बदलाव करने होंगे। संसद के सदनों की अवधि, राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को भंग करने, राज्य विधानमंडलों की अवधि, राज्य विधानमंडलों के विघटन से संबंधित अनुच्छेद और अनुच्छेद 356 से संबंधित राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने को संशोधित करना होगा।
- एक देश, एक चुनाव लागू करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाना है।
- भारत के 22वें विधि आयोग ने दिसंबर 2022 में देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर राजनीतिक दलों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों, विशेषज्ञों के लिए छह प्रश्नों का एक सेट तैयार किया। आयोग की अंतिम रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है।
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