सार

दिल्ली कोर्ट ने गुरुवार को INX मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की न्यायिक हिरासत 3 अक्टूबर तक बढ़ा दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई की ओर से पेश होकर न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। कोर्ट में चिदंबरम ने बताया कि तिहाड़ जेल में उनके पास न तो एक कुर्सी थी और न ही तकिया। इस वजह से उनकी पीठ में दर्द होने लगा है। उनके वकील ने जेल में मेडिकल जांच के लिए भी याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने मान लिया। 

नई दिल्ली. दिल्ली कोर्ट ने गुरुवार को INX मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की न्यायिक हिरासत 3 अक्टूबर तक बढ़ा दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई की ओर से पेश होकर न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। कोर्ट में चिदंबरम ने बताया कि तिहाड़ जेल में उनके पास न तो एक कुर्सी थी और न ही तकिया। इस वजह से उनकी पीठ में दर्द होने लगा है। उनके वकील ने जेल में मेडिकल जांच के लिए भी याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने मान लिया। 

पहले एक कुर्सी थी, उसे भी उठा ले गए : चिदंबरम

चिदंबरम ने कहा,"कमरे के बाहर कुर्सियां थीं, मैं दिन भर वहीं बैठा रहता था। अब वह भी वापस ले ली गईं, क्योंकि मैं उसका इस्तेमाल कर रहा था। अब तो वार्डन भी बिना कुर्सी के हैं।" उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "उनके पास तीन दिन पहले तक एक कुर्सी थी। अब न तो कुर्सी है और न ही तकिया है।" सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा, "यह एक छोटा मुद्दा है। इसे सनसनीखेज बनाने की जरूरत नहीं है। शुरुआत से ही उनके कमरे में कोई कुर्सी नहीं थी।" सिब्बल ने अदालत को सूचित किया कि 73 साल के चिदंबरम कई बीमारियों से पीड़ित हैं और हिरासत के दौरान उनका वजन कम हो गया है।

- चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायिक हिरासत बढ़ाने की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट में मांग की कि तिहाड़ जेल में पी चिदंबरम की नियमित रूप से मेडिकल चेकअप और अच्छा खाना दिया जाए। विशेष न्यायाधीश अजय कुमार ने  चिदंबरम की मेडिकल चेकअप की अनुमति दी। चिदंबरम को 5 सितंबर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
 
क्या है मामला?
यूपीए 1 में चिदंबरम वित्तमंत्री थी। इस दौरान एफआईपीबी ने दो एंटरप्राइस को मंजूरी दी। INX मीडिया मामले में सीबीआई ने 15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज की। इसमें आरोप लगाया गया  कि वित्तमंत्री रहते चिदंबरम के कार्यकाल के समय साल 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी धनराशी प्राप्त करने में एफआईपीबी मंजूरी में अनियमितताएं हुईं। ईडी ने पिछले साल उनपर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया।