सार
Padma awards 2022 : डॉ. कृष्ण मूर्ति एल्ला का जन्म साल 1969 में तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। उन्होंने एग्रीकल्चर साइंसेज में स्नातक और यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई से एमएस की डिग्री की। यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन मैडिसन से पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कुछ साल अमेरिका की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम किया।
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस (Republic day 2022) की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों (Padma awards) की घोषणा की। पद्म पाने वालों में से एक हैं हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) के चेयरमैन कृष्णा एल्ला (Krishna Ella)। उनकी पत्नी तथा को-फाउंडर और जॉइंट एमडी सुचित्रा एल्ला (Suchitra Ella)का भी कंपनी में बड़ा योगदान हे। जब दुनिया कोरोना वायरस महामारी के बीच दुनिया वैक्सीन की तरफ निगाहें किए थी, तब इस कंपनी ने न सिर्फ देश को स्वदेशी वैक्सीन दी, बल्कि अभी जो बूस्टर डोज लग रहे हैं वह भी भारत बायोटेक ही मुहैया करा रही है। आणविक जीव विज्ञान में शोध वैज्ञानिक, कृष्णा एल्ला और सुचित्रा एल्ला ने 1996 में भारत बायोटेक की स्थापना की थी। आज, भारत बायोटेक इनोवेटिव वैक्सीन टीकों के उत्पादन के मामले में दुनिया की प्रमुख कंपनी है।
तमिलनाडु में देश को कोवैक्सीन देने वाले एल्ला का जन्म
डॉ. कृष्ण मूर्ति एल्ला का जन्म साल 1969 में तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। उन्होंने एग्रीकल्चर साइंसेज में स्नातक और यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई से एमएस की डिग्री की। यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन मैडिसन से पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कुछ साल अमेरिका की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम किया। आज कोवैक्सीन (Covaxin) बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के संस्थापक डॉ. कृष्णा इल्ला को देश के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है।
मां के कहने पर अमेरिका से लौटे, फिर खड़ी की कंपनी
1996 में कंपनी खड़ी करने से पहले एल्ला अमेरिका में थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक दिन उनकी मां ने फोन किया और वापस आने को कहा। मां ने कहा - बेटा! तुम्हारा पेट सिर्फ 9 इंच का है। कितना पैसा कमाओगे? तुम जितना खाते हो, उससे ज्यादा तो खा नहीं सकते। लौट आओ और जो मन करे वह काम करो। मैं तुम्हारे खाने का इंतजाम कर लूंगी। इसके बाद एल्ला ने स्वदेश वापसी का फैसला किया और कंपनी खोली।
1996 में खोली भारत बायोटेक, 140 दवाओं का पेटेंट
एल्ला ने 1996 में भारत बायोटेक नाम की कंपनी स्थापित की। उनकी कंपन ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में करीब 200 मिलियन डॉलर का निवेश कर रखा है। कंपनी में करीब 1600 कर्मचारी काम करते हैं। कोवैक्सीन लाने से पहले उनकी कंपनी रेबीज की दवाओं के सबसे बड़े सप्लायर के रूप में जानी जाती थी। इसके अलावा कंपनी के पास 140 दवाओं के ग्लोबल पेटेंट्स भी मौजूद हैं। कंपनी हेपेटाइटिस-बी समेत 35 बीमारियों की वैक्सीन बना चुकी है।
CISR के सदस्य रहे, चिकित्सा विज्ञान सलाहकार समिति में भी काम किया
कृष्णा एल्ला केंद्रीय कैबिनेट की चिकित्सा विज्ञान सलाहकार समिति का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने सीएसआईआर (CSIR) के सदस्य के रूप में भी काम किया है। उनकी कंपनी भारत बायोटेक को दुनिया की अग्रणी दवा कंपनियों में एक माना जाता रहा है। कोरोना वैक्सीन के निर्माण कार्य की समीक्षा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) खुद भी उनकी कंपनी के दौरे पर गए थे। पीएम मोदी करीब एक घंटे तक भारत बायोटेक की लैब में रहे और बारीकी से जानकारियां जुटाईं। भारत बायोटेक उस वक्त तीसरे चरण के ट्रायल पर काम कर रही थी। इस कंपनी ने 26 हजार लोगों पर तीसरे चरण का सबसे बड़ा ट्रायल किया था।
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