कॉर्पोरेट जगत में काम कर रहे लोगों को सिखाया जाता है कि वे अपनी विचारधाराओं और विचारों को सार्वजनिक रूप से व्यक्त न करें, क्योंकि यह उनके करियर को बर्बाद करता है। काफी हद तक यह सही भी है। अगर कोई व्यक्ति अपनी मातृभूमि के लिए जरा भी प्रेम दिखा दे, उसे तुरंत ही दक्षिणपंथी का तमगा लगा दिया जाता है। दक्षिणपंथी और राष्ट्रवाद एक नहीं है, क्योंकि यह हमारी संस्कृति, सभ्यता है कि हम सभी का साथ लेकर चलते हैं। हमारे मन में केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी जीवित प्राणियों के लिए यही है।